Advertisment

प्रवासियों को लॉकडाउन से पहले जाने दिया होता, तो कोविड-19 के मामले इस कदर न बढ़ते

कोरोना वायरस (Corona Virus) के मामलों को बढ़ने से रोका जा सकता था, अगर प्रवासी मजदूरों (Migrants) को लॉकडाउन (Lockdown) लागू किए जाने से पहले घर जाने की अनुमति दी गई होती क्योंकि तब यह संक्रामक रोग कम स्तर पर फैला था.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Migrants Corona Epidemic

रिपोर्ट के मुताबिक प्रवासी मजदूरों की वापसी से बढ़ा कोविड-19 संक्रमण.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के मामलों को बढ़ने से रोका जा सकता था, अगर प्रवासी मजदूरों (Migrants) को लॉकडाउन (Lockdown) लागू किए जाने से पहले घर जाने की अनुमति दी गई होती क्योंकि तब यह संक्रामक रोग कम स्तर पर फैला था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोविड-19 (COVID-19) से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 5,164 हो गई और संक्रमितों की संख्या 1,82,143 पर पहुंच गई है. एम्स, जेएनयू, बीएचयू समेत अन्य संस्थानों के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के कोविड-19 कार्य बल की एक रिपोर्ट में कहा, 'लौट रहे प्रवासी अब देश के हर हिस्से तक संक्रमण लेकर जा रहे हैं. ज्यादातर उन जिलों के ग्रामीण और शहरी उपनगरीय इलाकों में जा रहे हैं जहां मामले कम थे और जन स्वास्थ्य प्रणाली अपेक्षाकृत कमजोर है.'

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड के मंत्री सतपाल महाराज की पत्नी की कोरोना रिपोर्ट आई पॉजिटिव, मचा हड़कंप

सीमित जानकारी ने भी बढ़ाए मामले
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA) , इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमोलॉजिस्ट (IAE) के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजा गया है. उन्होंने बताया कि भारत में 25 मार्च से 30 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन सबसे 'सख्त' रहा और इस दौरान कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़े. विशेषज्ञों ने कहा कि जनता के लिए इस बीमारी के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध होने के कारण ऐसा लगता है कि चिकित्सकों और महामारी विज्ञानियों ने सरकार को शुरुआत में 'सीमित फील्ड प्रशिक्षण और कौशल' के साथ सलाह दी. उन्होंने रिपोर्ट में कहा, 'नीति निर्माताओं ने स्पष्ट तौर पर सामान्य प्रशासनिक नौकरशाहों पर भरोसा किया. महामारी विज्ञान, जन स्वास्थ्य, निवारक दवाओं और सामाजिक वैज्ञानिकों के क्षेत्र में विज्ञान विशेषों के साथ बातचीत सीमित रही.'

यह भी पढ़ेंः चीन को आईना दिखाने जी-7 में भारत को शामिल करेंगे डोनाल्ड ट्रंप, सितंबर तक टाली बैठक

भारी कीमत चुका रहा है देश
इसमें कहा गया है कि भारत मानवीय संकट और बीमारी के फैलने के लिहाज से भारी कीमत चुका रहा है. विशेषज्ञों ने जन स्वास्थ्य और मानवीय संकटों से निपटने के लिए केंद्र, राज्य और जिला स्तरों पर अंतर-अनुशानात्मक जन स्वास्थ्य और निवारक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सामाजिक वैज्ञानिकों की एक समिति गठित करने की सिफारिश की है. उन्होंने सुझाव दिया कि जांच के नतीजों समेत सभी आंकड़ें अनुसंधान समुदाय के लिए सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि इस वैश्विक महामारी पर नियंत्रण पाने का समाधान खोजा जा सके. संक्रमण के फैलने की दर कम करने के लिए सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने की जरूरत पर जोर देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि साथ ही बेचैनी और लॉकडाउन संबंधी मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं से निपटने के लिए सामाजिक जुड़ाव बढ़ाने के कदमों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने निजी अस्पतालों समेत चिकित्सा संस्थानों के जरिए इंफ्लूएंजा जैसी बीमारियों और श्वसन संबंधी बीमारी सीविएर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मरीजों के लिए निगरानी बढ़ाने की भी सिफारिश की.

HIGHLIGHTS

  • जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण प्रसार को लेकर खुलासा.
  • रिपोर्ट के मुताबिक यदि प्रवासी मजदूरों को पहले जाने देते तो न बढ़ता संक्रमण.
  • 25 मार्च से 30 मई तक सख्त लॉकडाउन में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़े.
covid-19 corona crisis Migrants Corona Lockdown Workers Plight Corona Epidemic PM Narendra Modi
Advertisment
Advertisment
Advertisment