logo-image

हिजबुल मुजाहिद्दीन में फूट के संकेत, मूसा के हुर्रियत नेताओं के सिर काटने वाले बयान से झाड़ा पल्ला

हिजबुल मुजाहिद्दी के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद से एक बयान जारी कर कहा, 'संगठन का मूसा के बयान से कोई लेना-देना नहीं है और यह बयान स्वीकर नहीं किया जा सकता।'

Updated on: 13 May 2017, 05:27 PM

highlights

  • हिजबुल के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने कहा- मूसा का बयान स्वीकार करने वाला नहीं
  • आतंकी संगठन हिजबुल की शुरुआत 1989 में हुई, कश्मीर को पाकिस्तान में जोड़ने की करता रहा है वकालत
  • जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने कहा- वायरल ऑडियो में आवाज मूसा की है

नई दिल्ली:

हिजबुल मुजाहिद्दीन ने शनिवार को खुद को अपने कमांडर जाकिर मूसा के उस बयान से अलग कर लिया जिसमें उसने हुर्रियत नेताओं के सिर काटकर लाल चौक पर टांगने की बात कही थी। हिजबुल के इस बयान के बाद इस संगठन में फूट के संकेत मिल रहे हैं जो 1989 से जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में मिलाने की बात करते हुए लगातार आतंकी कार्रवाई कर रहा है।

हिजबुल मुजाहिद्दीन के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद से एक बयान जारी कर कहा, 'संगठन का मूसा के बयान से कोई लेना-देना नहीं है और यह बयान स्वीकर नहीं किया जा सकता।'

दरअसल, आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर जाकिर मूसा ने हुर्रियत नेताओं को चेताते हुए कहा था कि वे उनकी 'इस्लाम के लिए जंग' में हस्तक्षेप न करें, अन्यथा उनका 'सिर काटकर लाल चौक पर टांग देंगे'।

पांच मिनट और 40 सेकेंड का मूसा का यह ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें उसे कहते सुना जा रहा है, 'मैं हुर्रियत के पाखंडी नेताओं को चेतावनी देता हूं। वे इस्लाम के लिए हमारी लड़ाई में दखल न दें. यदि वे ऐसा करते हैं तो हम उनके सिर काटकर लाल चौक पर टांग देंगे।'

मूसा के बयान को व्यक्तिगत बताते हुए सलीम ने चेतावनी दी कि 'कोई भी बयान जो भ्रांति पैदा करता है वह हमारे संघर्ष को खत्म कर सकता है।'

इस बीच जम्मू कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद्य ने पीटीआई को बताया है कि पुलिस ने टेप का वॉयस टेस्ट किया है और पाया है कि सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो में मूसा की ही आवाज है।

यह भी पढ़ें: पुलिस ने फ़ैयाज़ की हत्या करने वाले आतंकियों के पोस्टर किए जारी, हिजबुल मुजाहिदीन से है संबंध

बता दें कि हिजबुल मुजाहिद्दीन की शुरुआत कश्मीर आतंक के साथ 1989 में ही हुई थी और यह संगठन स्थानीय युवाओं को खुद से जोड़कर हमेशा से पाकिस्तान में कश्मीर के शामिल किए जाने की बात करता रहा है।

इसी हफ्ते की शुरुआत में हुर्रियत नेताओं सईद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख और यासिन मलिक ने यह कहा था कि कश्मीर के संघर्ष का आईएसआईएस, अल कायदा और ऐसे दूसरे संगठनों से कोई रिश्ता नहीं है।

यह भी पढ़ें: जब सचिन तेंदुलकर-नीता अंबानी की मौजूदगी में पोलार्ड के चेहरे पर हार्दिक पांड्या ने लगाया केक, देखिए वीडियो