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अल्पसंख्यक संस्थानों में हिजाब की अनुमति नहीं, हज और वक्फ विभाग ने किया स्पष्ट

कर्नाटक हिजाब विवाद दिन प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है. ताजा मामला अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की ओर से जारी बयान में सामने आया है. साथ ही कर्नाटक सरकार ने भी हिजाब पर अपना रुक स्पष्ट किया है.

Updated on: 17 Feb 2022, 10:10 PM

highlights

  • सर्कुलर में भी दिया गया आदेश का हवाला, कहा शिक्षण संस्थानों में राजनीति का कोई काम नहीं 
  • सभी अल्पसंख्यक संस्थानों में भी अन्य शिक्षण संस्थानों का ही नियम हो लागू 
  • कर्नाटक हिजाब विवाद प्रतिदिन पकड़ता जा रहा तूल 

नई दिल्ली :

कर्नाटक हिजाब विवाद दिन प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है. ताजा मामला अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की ओर से जारी बयान में सामने आया है. साथ ही कर्नाटक सरकार ने भी हिजाब पर अपना रुक स्पष्ट किया है. सर्कुलर में कहा गया है कि राज्य सरकार के तहत संचालित अल्पसंख्यक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है. अल्पसंख्यक कल्याण, हज एवं वक्फ विभाग के सचिव मेजर पी. मणिवन्नन ने कहा कि उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ का अंतरिम आदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत चलने वाले आवासीय विद्यालयों और मौलाना आजाद मॉडल स्कूलों (अंग्रेजी माध्यम) पर भी लागू होता है. इसलिए अल्पसंख्यक स्कूल भी देश के अंदर ही हैं. इसलिए अन्य नियमों का सवाल ही नहीं उठता. 

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जानकारी के मुताबिक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा संचालित सभी शिक्षण संस्थानों को कक्षाओं में हिजाब, स्कार्फ, भगवा शॉल और अन्य धार्मिक प्रतीकों की अनुमति नहीं देने का आदेश दिया गया है. सर्कुलर में आदेश का हवाला दिया गया, हम राज्य सरकार और उनके सभी हितधारकों से शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने और छात्रों को जल्द से जल्द कक्षाओं में लौटने की अनुमति देने का अनुरोध करते हैं. इन सभी याचिकाओं पर विचार किए जाने तक, हम सभी छात्रों को उनके धर्म या आस्था की परवाह किए बिना, भगवा शॉल (भगवा), स्कार्फ, हिजाब, धार्मिक झंडे या कक्षा के भीतर अगले आदेश तक पहनने से रोकते हैं.

सकरुलर में उल्लेख किया गया है कि यह नोटिस में आने के बाद जारी किया गया है कि महिला छात्र हिजाब में कक्षाओं में भाग ले रही हैं. हम यह स्पष्ट करते हैं कि यह आदेश ऐसे संस्थानों तक ही सीमित है जहां कॉलेज विकास समितियों ने छात्र पोशाक या वर्दी निर्धारित की है. हिजाब पहने छात्रों ने पहले ही अधिकारियों से सवाल करना और विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है और साथ ही राज्य भर के संबंधित उपायुक्तों को ज्ञापन सौंपना शुरू कर दिया है. इसलिए अल्पसंख्यक हज एवं वक्फ विभाग के सचिव का बयान महत्वपूर्ण है.