कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले में यह साफ किया है कि महिलाओं को स्वीटी या बेबी बोलना हमेशा गलत नहीं होता है. कोर्ट का कहना है कि इन शब्दों का उपयोग हमेशा किसी सेक्सुअल सेंटीमेंट को उजागर नहीं करता है. इस दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर पोश अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग होता है तो यह महिलाओं के लिए अधिक बाधाएं पैदा करने वाला हो सकता है. न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने यौन उत्पीड़न के आरोप से संबंधित एक मामले में ये टिप्पणियां की है.
ये भी पढ़ें: Haryana में कांग्रेस ने किया बहुमत का दावा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधायकों की संख्या भी गिनवाई
महिला ने लगाया वरिष्ठ अधिकारी पर आरोप
इस मामले को लेकर एक महिला ने आरोप लगाए हैं कि कार्यस्थल पर उसके वरिष्ठ अधिकारी की ओर से स्वीटी और बेबी जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है. महिल तटरक्षक बल में काम करती है. उसका आरोप था कि उसक वरिष्ठ ने कई बार उसका यौन उत्पीड़न किया था. उसका कहना था कि अधिकारी के शब्दों में यौन संकेत थे.
जानें क्या कहा कलकत्ता हाई कोर्ट ने
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उन्होंने कभी इन शब्दों का उपयोग यौन के संकेतों के रूप में नहीं किया है. उन्होंने कहा कि जब शिकायकर्ता ने अपनी प्रॉब्लम को सामने रखा तो उन्होंने ऐसे शब्दों का उपयोग करना बंद कर दिया. हाई कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि आंतरिक शिकायत समिति की ओर से ऐस शब्दों का उपयोग अनुचित माना गया. मगर इसे सेक्सुअल सेंटीमेंट से जोड़ना सही नहीं है.
Source : News Nation Bureau
हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले पर की टिप्पणी, कहा- 'स्वीटी' और 'बेबी' बोलना हमेशा गलत नहीं होता
कलकत्ता हाईकोर्ट में महिला ने यौन उत्पीड़न मामले को लेकर अपने बॉस पर आरोप लगाया है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि इन शब्दों का उपयोग हमेशा गलत नहीं होता है.
कलकत्ता हाईकोर्ट में महिला ने यौन उत्पीड़न मामले को लेकर अपने बॉस पर आरोप लगाया है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि इन शब्दों का उपयोग हमेशा गलत नहीं होता है.
highcourt( Photo Credit : social media)
कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले में यह साफ किया है कि महिलाओं को स्वीटी या बेबी बोलना हमेशा गलत नहीं होता है. कोर्ट का कहना है कि इन शब्दों का उपयोग हमेशा किसी सेक्सुअल सेंटीमेंट को उजागर नहीं करता है. इस दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर पोश अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग होता है तो यह महिलाओं के लिए अधिक बाधाएं पैदा करने वाला हो सकता है. न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने यौन उत्पीड़न के आरोप से संबंधित एक मामले में ये टिप्पणियां की है.
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महिला ने लगाया वरिष्ठ अधिकारी पर आरोप
इस मामले को लेकर एक महिला ने आरोप लगाए हैं कि कार्यस्थल पर उसके वरिष्ठ अधिकारी की ओर से स्वीटी और बेबी जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है. महिल तटरक्षक बल में काम करती है. उसका आरोप था कि उसक वरिष्ठ ने कई बार उसका यौन उत्पीड़न किया था. उसका कहना था कि अधिकारी के शब्दों में यौन संकेत थे.
जानें क्या कहा कलकत्ता हाई कोर्ट ने
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उन्होंने कभी इन शब्दों का उपयोग यौन के संकेतों के रूप में नहीं किया है. उन्होंने कहा कि जब शिकायकर्ता ने अपनी प्रॉब्लम को सामने रखा तो उन्होंने ऐसे शब्दों का उपयोग करना बंद कर दिया. हाई कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि आंतरिक शिकायत समिति की ओर से ऐस शब्दों का उपयोग अनुचित माना गया. मगर इसे सेक्सुअल सेंटीमेंट से जोड़ना सही नहीं है.
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