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सुप्रीम कोर्ट में आज 6000 NGO के लाइसेंस रद्द करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई

याचिका में कहा गया है, इन हजारों गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण को अचानक और मनमाने ढंग से रद्द करना संगठनों उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन लाखों भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन है.

Updated on: 24 Jan 2022, 07:37 AM

highlights

  • अमेरिका स्थित एनजीओ ग्लोबल पीस इनिशिएटिव ने की थी याचिका दायर 
  • याचिका में कहा- लाइसेंस रद्द करने से COVID राहत प्रयासों पर प्रभाव पड़ सकता है
  • जरूरी लाइसेंस को नवीनीकृत करने से केंद्र के इनकार कर दिया था 

दिल्ली:

NGO hearing in Supreme Court : हजारों एनजीओ (NGO) के लिए विदेशों से धन प्राप्त करने के लिए जरूरी लाइसेंस को नवीनीकृत करने से केंद्र के इनकार के खिलाफ एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court ) सोमवार को सुनवाई करेगा. अमेरिका स्थित एनजीओ ग्लोबल पीस इनिशिएटिव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लाइसेंस रद्द करने से COVID-19 राहत प्रयासों पर कमजोर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि देश संक्रमण की तीसरी लहर (Third Wave) और कई लोगों द्वारा किए गए कार्यों से जूझ रहा है. इन 6,000 एनजीओ ने अब तक लाखों भारतीयों की मदद की है. याचिका में इन गैर सरकारी संगठनों के विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम या एफसीआरए लाइसेंस का विस्तार करने की मांग की गई है, जब तक कि कम से कम कोविड​​​​-19 केंद्र सरकार द्वारा नामित राष्ट्रीय आपदा न रहे.

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याचिका में कहा गया है, इन हजारों गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण को अचानक और मनमाने ढंग से रद्द करना संगठनों उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन लाखों भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन है, जिनकी वे सेवा करते हैं. यह विशेष रूप से ऐसे समय में प्रासंगिक है जब देश कोविड​​​-19 वायरस की तीसरी लहर का सामना कर रहा है. इस समय करीब 6000 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द करने से राहत प्रयासों में बाधा आएगी और नागरिकों को सहायता से वंचित किया जाएगा. याचिका में कहा गया है कि महामारी से निपटने में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को केंद्र सरकार, नीति आयोग और यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय ने भी स्वीकार किया है.