CAA समेत 200 से अधिक जनहित याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानें पूरा अपडेट

संशोधित कानून में हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों से संबंधित गैर-मुस्लिम अप्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से देश में आए थे.

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Vijay Shankar
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Supreme Court

Supreme Court ( Photo Credit : File)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार को विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला है. इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग की प्रमुख याचिका सहित सीएए (CAA) के खिलाफ जनहित याचिकाओं का समूह मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित (UU Lalit) और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ द्वारा सुनवाई के लिए 220 याचिकाओं की सूची का हिस्सा है. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ कुछ वर्षों से लंबित कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसमें सीएए की वैधता के खिलाफ भी शामिल है, जिसके अधिनियमन ने पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था.

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संशोधित कानून में हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों से संबंधित गैर-मुस्लिम अप्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से देश में आए थे. शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर, 2019 को याचिकाओं के बैच की सुनवाई करते हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के संचालन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था.

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शीर्ष अदालत ने जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक केंद्र से जवाब मांगा था, लेकिन COVID-19-प्रेरित प्रतिबंधों के कारण बड़ी संख्या में वकीलों और वादियों के शामिल होने के कारण मामला पूर्ण सुनवाई के लिए नहीं आ सका. याचिकाकर्ताओं में से एक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने कहा कि यह अधिनियम मौलिक समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है और धर्म के आधार पर बहिष्कार करके अवैध अप्रवासियों के एक वर्ग को नागरिकता प्रदान करने का इरादा रखता है. याचिका में कानून के संचालन पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा दायर एक अन्य याचिका में अधिनियम को संविधान के तहत परिकल्पित मूल मौलिक अधिकारों पर एक खुला हमला करार दिया और कहा कि यह बराबरी के साथ असमानता के रूप में व्यवहार करता है". राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू), पीस पार्टी, सीपीआई, एनजीओ रिहाई मंच, सिटीजन अगेंस्ट हेट, अधिवक्ता एमएल शर्मा और कानून के छात्रों की ओर से कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं जिन्होंने इस अधिनियम को चुनौती दी थी. 

Chief Justice UU Lalit Citizenship Amendment Act Supreme Court caa
      
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