हाथरस कांड: सामने आई संदिग्ध महिला, बोली- नहीं मेरा कोई नक्सल कनेक्शन, पुलिस पेश करे सबूत
हाथरस कांड हर रोज नया मोड़ ले रहा है. इस मामले में अब नक्सल कनेक्शन सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा है.
जबलपुर:
हाथरस कांड हर रोज नया मोड़ ले रहा है. इस मामले में अब नक्सल कनेक्शन सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा है. मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली एक महिला एक्टिविस्ट, जिसे कथित तौर पर नक्सली बताया जा रहा है, वह जांच एजेंसियों के निशाने पर आई है. सूत्रों से पता चला है कि यह महिला 16 सितंबर से परिवार के आसपास परिवार का हिस्सा बनकर रह रही थी.
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सूत्रों ने यह भी बताया कि कोविड के बहाने चेहरा ढक कर परिजन बनकर महिला एक्टिविस्ट ने कई चैनलों को इंटरव्यू भी दिया था. इंटरव्यू के दौरान महिला ने भड़काऊ बातें कहीं थीं और गांववालों को भी फर्जी अफवाहों से भड़काया था. सूत्रों ने बताया कि पुलिस के जांच शुरू करते ही यह महिला लापता हो गई थी. इस महिला का नाम प्रोफेसर डॉक्टर राजकुमारी बंसल बताया जा रहा है.
हालांकि नक्सली होने का आरोप लगने पर प्रोफेसर डॉक्टर राजकुमारी बंसल भी मीडिया के सामने आई है. जबलपुर में मीडिया कर्मियों के बात करते हुए राजकुमारी बंसल ने कहा, 'मेरा परिवार के साथ कोई रिश्ता नहीं है, वह मानवता के नाते में हाथरस गई थी.' अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए राजकुमारी बंसल ने कहा, 'मैं नकली भाभी नहीं हूं और न ही मेरा कोई नक्सल कनेक्शन है. मैं मानवीयता के नाते हाथरस पहुंची थी.'
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प्रोफेसर डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने कहा, 'मैंने अपनी एक माह का वेतन पीड़ित परिवार को दिया है. मैं पीड़ित के परिजनों के कहने पर वहां दो दिन रुकी.' इसके साथ ही महिला ने कहा कि मैं यूपी एसआईटी की हर जांच के लिए तैयार हूं. महिला ने यह भी कहा कि उसके खिलाफ पहले सबूत पेश करो. बोलना और आरोप लगाना आसान होता है. राजकुमारी बंसल ने आरोप भी लगाया कि इसका फोन टेप किया जा रहा है, जिसके खिलाफ उसने शिकायत दी है.
उधर, सुप्रीम कोर्ट में हाथरस की घटना को लेकर दाखिल हलफनामे में यूपी पुलिस ने कहा है कि पीड़िता की मौत के बाद कई पॉलिटिकल पार्टी के नेता तुरंत सफदरजंग हॉस्पिटल पहुंचे थे और साजिश के तहत पीड़िता के परिवार को भड़काने की कोशिश की थी कि परिवार शव को तब तक स्वीकार ना करे, जब तक कि उनकी सभी डिमांड ना मान ली जाए. सूत्रों से यह जानकारी दी है.
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सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने रिपोर्ट में पुलिस ने ये भी कहा है कि 29 सितंबर को वाल्मीकि समाज के संघठन, भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता हाथरस में इकट्ठा हुए थे और हिंसा फैलाने की पूरी तैयारी कर ली थी. पुलिस ने कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि इन सभी संघठनों की साजिश ये भी थी कि जब पीड़िता का शव हाथरस आए तो उसका अंतिम संस्कार ना करके, शव को सड़क पर रखकर उग्र प्रदर्शन किया जाए और पथराव किया जाए, ट्रेनों को भी प्रदर्शन के दौरान जलाने की साजिश थी.
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