Haldwani Case: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

Haldwani Case : उत्तराखंड के हल्द्वानी मामले (Haldwani Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से करीब 50 हजार लोगों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है.

Haldwani Case : उत्तराखंड के हल्द्वानी मामले (Haldwani Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से करीब 50 हजार लोगों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है.

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Deepak Pandey
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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक( Photo Credit : File Photo)

Haldwani Case : उत्तराखंड के हल्द्वानी मामले (Haldwani Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से करीब 50 हजार लोगों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. SC ने हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगी दी है, जिसमें सात दिन के अंदर रेलवे को अतिक्रमण हटाने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए कहा कि सात दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश सही नहीं है. 

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हल्द्वानी मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के इविक्शन ऑर्डर के एक अंश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि भूमि राज्य सरकार की है. याचिकाकर्ताओं के पास भूमि का कब्जा आजादी से पहले से है और उनके पास सरकार के पट्टे हैं जो उनके पक्ष में दिए गए थे. वहीं, उत्तराखंड सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने SC में कहा कि सर्वे और सीमांकन हो चुका है. पीपी एक्ट के तहत 4,000 से ज्यादा मामले और अपील लंबित हैं. 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मानवीय मामला है. SC ने कहा कि वे पट्टे का दावा करते हैं और कुछ का कहना है कि वे 1947 के बाद चले गए और उनकी संपत्तियों की नीलामी की गई, तमाम मुद्दे हैं, लेकिन आप 7 दिनों में खाली करने के लिए कैसे कह सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी, उन्हें आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 सालों से रह रहे हैं तो कोई तो पुनर्वास की योजना होनी चहिए.

SC ने कहा कि कोई योजना पुनर्वास को लेकर होनी चाहिए. हालांकि, हम समझते हैं कि रेलवे के विकास कार्य नहीं रुकने चहिए. ऐसा नहीं है कि अभी आप विकास के लिए हटा रहे हैं. आप सिर्फ अतिक्रमण हटा रहे हैं. वहीं, ASG ने कहा कि समस्या ये है कि ये लोग कह रहे हैं कि वहां उनकी जमीन है और वो पुनर्वास का दावा नहीं कर रहे हैं. एडवोकेट विपिन नायर ने कहा कि वह हाईकोर्ट में मूल याचिकाकर्ता हैं और उन्हें हमेशा पुनर्वास के लिए प्रार्थना की है. वकील कोलिन ने कहा कि लैंड का बड़ा हिस्सा राज्य सरकार का है, रेलवे के पास लैंड कम है. 

इस पर जस्टिस संजय कौल ने कहा है कि हमें इस मामले को सुलझाने के लिए प्रैक्टिकल एस्पेक्ट्स अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि इसमें शामिल समस्याओं के आकलन के लिए किसी को जाना होगा.  आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे कोई व्यवसाय या निर्माण न हो, हमें कोई व्यावहारिक रास्ता निकालना होगा. यह केवल अतिक्रमण नहीं है. बहुत सी चीजों को देखना होगा. 

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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिनों में लैंड को खाली कराने का आदेश सही नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे और सरकार को नोटिस जारी किया है. इस बीच SC ने उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों पर स्टे लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने जमीन पर आगे निर्माण कार्य और विकास कार्य पर रोक लगाई है. अब इस मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी. 

Source : News Nation Bureau

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