ग्रेटर नोएडा: इमारत ढहने से 9 लोगों की मौत, बचाव अभियान जारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मरने वालों के परिवार को 2 लाख़ और घायलों को 50,000 रूपये मुआवजा देने का ऐलान किया है।
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पास सबसे तेजी से विकसित हो रहे रियल एस्टेट केंद्र में से एक ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में मंगलवार शाम दो इमारतें ढह गईं, जिसमें एक बच्ची समेत 9 लोगों की मौत हो गई। कई लोगों के मलबे में अभी भी दबे होने की आशंका है।
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मरने वालों के परिवार को 2 लाख़ और घायलों को 50,000 रूपये मुआवजा देने का ऐलान किया है।
इन इमारतों में एक निमार्णाधीन थी जबकि दूसरी बनकर तैयार हो चुकी थी और उसमें कुछ परिवार रहने भी लगने थे। एक अधिकारी ने बताया, 'शाहबेरी गांव में स्थित ये इमारतें मंगलवार रात 8.30 से नौ बजे के बीच जाहिर तौर पर इमारतों के भूतलों की दीवारों में अत्यधिक नमी आने और इमारतों में बेकार गुणवत्ता की निर्माण सामग्री का उपयोग होने के कारण गिरी हैं।'
हालांकि मलबे में फंसे लोगों की संख्या पता नहीं है लेकिन अधिकारियों और आस-पास रहने वालों ने इमारत के मलबे में कम से कम 50 लोगों के दबे होने की आशंका जताई है जिनमें ज्यादातर मजदूर हो सकते हैं।
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बचावकर्मियों ने बुधवार सुबह तीन शव बरामद किए थे। दोपहर के बाद बचावकर्मियों को पत्थरों के नीचे एक पैर दिखाई दिया। बचावकर्मियों ने तीन-चार घंटे की मशक्कत के बाद शव निकाला, जो एक महिला का था। इसके बाद मलबे से निकले शवों की संख्या चार हो गई।
एकमात्र मृतक की शिनाख्त हुई है, जिनका नाम रजनीश भौमली (36) बताया गया है। वह यहां राजमिस्त्री का काम करते थे। उन्होंने पूर्वी दिल्ली में रह रही अपनी पत्नी को मंगलवार शाम फोन कर कहा था कि दिन का काम खत्म नहीं कर पाने के कारण उन्होंने वहीं रुकने का फैसला किया है।
बचाव अभियान बुधवार शाम तक जारी था और बचावकर्मी ड्रिलिंग मशीन, हथौड़े और आरी से पत्थर और लोहे की सरियों को काट रहे थे। मलबे में जीवित लोगों की तलाश के लिए जासूसी कुत्तों का भी सहयोग लिया गया।
निर्माण कार्य के चलते इमारत तक जाने वाला सड़क मार्ग जगह-जगह खुदा पड़ा है। बारिश के कारण गड्ढों में पानी भर गया है, जिससे क्रेनों और ड्रिलिंग मशीनों को घटनास्थल पर पहुंचने में परेशानी हुई।
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मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि बिल्डर गंगा प्रसाद द्विवेदी सहित चार लोगों को हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने कहा, 'चारों लोगों से पूछताछ हो रही है। उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कदम उठाए जाएंगे।'
बहुमंजिला व्यावसायिक और आवासीय इमारत परिसर के अभी भी अविकसित होने के कारण पथरीली सड़कों पर कीचड़ और पानी भरा हुआ है।
इमारत में और इसके आसपास रह रहे मजदूरों का कोई आंकड़ा नहीं होने के कारण मलबे में फंसे लोगों की संख्या के बारे में अभी भी पुष्टि की जा रही है।
इस इलाके में कई इमारतें निमार्णाधीन हैं और मजदूर इनमें रहते हैं।
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राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की चार टीमों ने मलबे से शव बाहर निकाले।
एनडीआरएफ के महानिदेशक संजय कुमार ने कहा, 'सूचना मिलते ही एनडीआरएफ की मोबाइल टीम घटनास्थल पर पहुंच गई। बाद में तीन और टीमें पहुच गईं।'
उन्होंने कहा, 'घटनास्थल पर जाने के लिए काफी संकरा सड़क मार्ग होने के कारण मुश्किल हुई है लेकिन हम अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश कर रहे हैं।'
उन्होंने यह बात स्थानीय लोगों की इस बात पर कही कि बचाव कार्य की गति काफी धीमी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बचावकर्मी देर से पहुंचे।
यह दुर्घटना तब घटी जब एक निमार्णाधीन इमारत पास की एक चार मंजिला इमारत पर गिर गई। उस इमारत में चार लोगों का परिवार रहता था।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लेते हुए नोएडा के जिलाधिकारी को राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया है।
इस घटना पर अपर सूचना सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया, 'मामले का संज्ञान मुख्यमंत्री ने लिया है। उन्होंने गौतमबुद्घ नगर के जिलाधिकारी को तत्काल राहत कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया है। वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं और स्थिति पर नजर बनाए हैं।'
अवस्थी ने बताया कि उन्होंने एसडीआरएफ और पुलिस को भी तत्काल राहत कार्य में जुटने का निर्देश जारी किया है।
गौतमबुद्घनगर जिले के जिलाधिकारी ब्रजेश नारायण सिंह ने मामले की जांच एडीएम विनीत कुमार को सौंपी है। 15 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
यह भी जांच की जा रही है कि क्या दोनों इमारतें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के क्षेत्र में आती हैं, अगर ऐसा है तो निर्माण शुरू होने से पहले आवश्यक मंजूरी के लिए कोई अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया गया था या नहीं।
एक अधिकारी ने 'बताया कि दोनों इमारतें अवैध रूप से निर्मित हो सकती हैं तथा एक का निर्माण कार्य पूरा हो चुका था और उसमें कई परिवार रहने भी लगे थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में धड़ल्ले से, खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्माण कार्य हो रहे हैं।
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