स्वतंत्रता संग्राम के विस्मृत नायकों को उजागर करना केंद्र का लक्ष्य: महेंद्र नाथ पांडेय
स्वतंत्रता संग्राम के विस्मृत नायकों को उजागर करना केंद्र का लक्ष्य: महेंद्र नाथ पांडेय
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार में भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य आजादी हासिल करने में गुमनाम नायकों की भूमिका को उजागर करना है।इंडो-एशियन न्यूज सर्विस (आइएएनएस) ने बुधवार को 1946 के भारतीय नौ सेना (रॉयल इंडियन नेवी) विद्रोह पर द लास्ट पुश शीर्षक नामक एक डॉक्यूमेंट्री जारी की है। नई दिल्ली के महादेव रोड़ स्थित फिल्म डिविजन ऑडिटोरियम इसकी पहली श्रृंखला रिलीज की गई।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने कहा जहां कुछ लोगों ने एक नैरेटिव सेट किया है कि केवल वे ही भारत के स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य आधार थे या मुख्य नायक थे। ऐसे में अब केंद्र की मोदी सरकार का प्रयास यह उजागर करने का है कि अन्य गुमनाम व्यक्तियों को भी उजागर की जाए। जिन्होंने देश का नाम रोशन किया, स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया।
इस संदर्भ में उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विस्मृत घटनाओं को उजागर कर राष्ट्रवाद की भावना जगाने में समाचार एजेंसी आईएएनएस के प्रयासों की सराहना भी की।
सुजय द्वारा निर्देशित और आईएएनएस द्वारा प्रस्तुत 1946 के भारतीय नौसेना के विद्रोह पर एक लघु फिल्म द लास्ट पुश की स्क्रीनिंग के दौरान केंद्रीय मंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर किसी देश के नागरिकों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत नहीं होती तो वह राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता।
पांडेय ने कहा, आईएएनएस और उसके संपादक संदीप बामजई का यह प्रयास उस उद्देश्य को हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय कदम है।
उन्होंने कहा कि पहले भारत के गौरवशाली अतीत के भूले-बिसरे नायकों के योगदान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। अहोम जनरल लाचित बोरफुकन की मुगल सेना के खिलाफ जीत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज लोग उनके योगदान के बारे में जानते हैं, क्योंकि हमारा प्रयास भारत के ऐसे विस्मृत नायकों के योगदान को उजागर करना है।
पांडेय ने कहा, कुछ लोग कहते हैं कि केवल उन्होंने ही भारत की आजादी में योगदान दिया है, हालांकि हमारा मानना है कि कुछ और लोग भी हैं जिन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी है।
यह बताते हुए कि वह भी फिल्म पत्रकारिता के छात्र रहे हैं, मंत्री ने वृत्तचित्र के शीर्षक की प्रशंसा करते हुए कहा कि किसी भी संघर्ष में, अंतिम धक्का सबसे महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि नौसैनिक विद्रोह भी भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के शासन को हिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री प्रमोद कपूर द्वारा लिखित 1946: रॉयल इंडियन नेवी म्यूटिनी, लास्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस नामक पुस्तक पर आधारित है।
डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के दौरान संदीप बामजई ने कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री आईएएनएस द्वारा फ्रीडम ऑफ इंडिया सीरीज के तहत आजादी से पहले हुई सभी घटनाओं और विद्रोहों को उजागर करने का एक प्रयास है।
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