NDA की तरह RIMC में भी मिले लड़कियों को दाखिला, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
65 साल चली आ रही रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ कर केंद्र सरकार ने एनडीए (NDA) में तो लड़कियों के दाखिले देने का ऐतिहासिक फैसला ले लिया लेकिन RIMC यानि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री जैसे प्रतिष्ठित सैनिक शिक्षण संस्थान में लड़कियों के प्रवेश अभी भी संभव नहीं है.
नई दिल्ली:
65 साल चली आ रही रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ कर केंद्र सरकार ने एनडीए (NDA) में तो लड़कियों के दाखिले देने का ऐतिहासिक फैसला ले लिया लेकिन RIMC यानि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री जैसे प्रतिष्ठित सैनिक शिक्षण संस्थान में लड़कियों के प्रवेश अभी भी संभव नहीं है. एनजीओ सेंटर फॉर रिफॉर्म्स, डेवलपमेंट एंड जस्टिस (Centre for Reforms,Development and Justice) की ओर से इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. संस्था के अध्यक्ष सिद्धार्थ मिश्रा की ओर से दाखिल इस याचिका में 18 अगस्त को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से सवाल भी किया था कि अगले साल 100 साल पूरे कर रहे RIMC जैसे संस्थान में दाखिले में हो रहे लैंगिक भेदभाव को दूर करने में कितना वक़्त लगेगा? बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने ASG ऐश्वर्या भाटी को RIMC में दाखिले से जुड़ी याचिका पर विचार कर जवाब दाखिला करने को कहा है.
याचिकाकर्ता सिद्धार्थ मिश्रा का कहना है कि एनडीए में एडमिशन लेने वालों की बडी संख्या RIMC छात्रों की होती है. जब सरकार लड़कियों को NDA में दाखिले का फैसला ले चुकी है तो ऐसी सूरत में RIMC में लड़कियों को दाखिला न देने की कोई वजह नज़र नहीं आती. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही इस मसले पर सरकार का रुख साफ होने के बाद RIMC के दरवाजे भी लड़कियों के लिए खुल जाएंगे.
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गौरतलब है कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी यानी एनडीए और नेवल अकादमी में महिला कैडेट्स के प्रवेश का रास्ता साफ करने को सरकार नीति व प्रक्रिया तय कर रही है. सरकार ने ये निर्णय तो कर लिया है कि महिला कैडेट्स को इन दोनों संस्थानों में दाखिला मिलेगा, लेकिन किस प्रक्रिया के तहत उसे अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को एनडीए और नेवल अकादमी में महिला कैडेट्स के दाखिले की प्रक्रिया पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को दो हफ्तों की मोहलत दी है. साथ ही एएसजी ऐश्वर्या भाटी को इस बात की बधाई दी कि उन्होंने लैंगिक विभेद को दूर करने के मकसद से इस मामले में मोर्चा संभाले रखा. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की है.
बता दें कि बीते माह सेना में स्थायी कमीशन मिलने में हो रही देरी को लेकर महिला ऑफिसर्स ने सरकार को कानूनी नोटिस भेजा था. यह नोटिस रक्षा मंत्रालय को उन 72 महिलाओं ने भेजा था जिनको सेना में स्थाई कमीशन देने के लिए योग्य ठहराया गया था. महिला अफसरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए ऑर्डर में स्थायी कमीशन देने की बात हो चुकी है.
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