logo-image

George F. Birthday: अखबार में नौकरी से लेकर राजनीतिक तक जॉर्ज फर्नांडिस का ऐसा रहा सफर

George F. Birthday : जॉर्ज फर्नांडिस ने अपने जीवन में करियर की शुरुआत एक अखबार में नौकरी से की थी और उन्होंने राजनीतिक का तक सफर तय किया. इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां आईं, लेकिन वे सभी बाधा को दूर कर आगे बढ़ते रहें.

Updated on: 02 Jun 2023, 07:34 PM

नई दिल्ली:

George F. Birthday : जॉर्ज फर्नांडिस किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. कर्नाटक के मंगलौर के एक कैथोलिक परिवार में उनका जन्म 3 जून 1930 को हुआ था और दिल्ली में 88 वर्ष की आयु में 29 जनवरी 2019 को उनकी मृत्यु हो गई थी. मंगलौर में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले जॉर्ज अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, मराठी, कोंकणी, कन्नड़, मलयाली और तमिल भाषा के जानकार थे. आइये जानते हैं कि एक अखबार में प्रूफरीडर की नौकरी से लेकर राजनीतिक का तक उनके जीवन का सफर कैसा रहा है?

जॉर्ज फर्नांडिस अपने भाई बहनों में सबसे बड़े थे. उनकी शादी साल 1971 में पूर्व केंद्रीय मंत्री हुमायूं कबीर की बेटी लैला कबीर से साथ हुई थी. वे राजनीति में करीब 5 दशक तक सक्रिय रहें. मजदूर नेता से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले जॉर्ज ने केंद्रीय मंत्री तक की यात्रा तय की. उन्होंने एक बार राज्यसभा और 9 बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया था. साल 1949 में जॉर्ज फर्नांडिस नौकरी की तलाश में मंगलौर से मुंबई चले आए और यहां एक अखबर में बतौर प्रूफरीडर की नौकरी की. उनके जीवन की यह पहली नौकरी थी.

यह भी पढ़ें : Wrestlers Protest: बृजभूषण सिंह 9 जून तक गिरफ्तार हों, खाप पंचायत से राकेश टिकैत की ललकार

जॉर्ज वर्ष 1950 में राम मनोहर लोहिया से जुड़ गए. इसके बाद वे श्रमिकों और मजदूरों की आवाज बुलंद करने के लिए सोशलिस्ट ट्रेड यूनियन के आंदोलन में शामिल हो गए. उन्होंने 1961 में पहला चुनाव जीता. वे साल 1961 में मुंबई सिवीक चुनाव जीते और मुंबई महानगरपालिका के मेंबर बन गए. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर उन्होंने साल 1967 में दक्षिण मुंबई सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के दिग्गज नेता एसके पाटिल को पराजित कर दिया. इसके बाद उनका राजनीतिक कद बढ़ गया और लोग उन्हें जॉर्ज द जाइंट किलर के नाम से बुलाने लगे. एनडीए की सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस दोनों बार रक्षा मंत्री बने थे. जॉर्ज के रक्षा मंत्री रहते ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. भारत ने 'ऑपरेशन विजय' के तहत पाक सेना को भागा दिया था.