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मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में ईदगाह की पुरातत्व सर्वे की अपील को कोर्ट ने किया निरस्त

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में ईदगाह की पुरातत्व सर्वे की अपील को कोर्ट ने किया निरस्त

Updated on: 26 Mar 2023, 12:25 AM

मथुरा:

यूपी के मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। एडीजे षष्ठम के न्यायालय ने शाही मस्जिद ईदगाह के पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने की अपील को शनिवार को निरस्त कर दिया।

ठाकुर महेंद्र प्रताप सिंह ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित 13.37 एकड़ जमीन पर मौजूद ईदगाह को हटाने के लिए याचिका डाली थी। इसमें सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायाधिकारी ने पहले केस के स्थायित्व पर सुनने संबंधी आदेश कर दिया। इस आदेश के खिलाफ पक्षकार जिला जज की अदालत गए। यहां से प्रार्थना-पत्र को सुनवाई के लिए एडीजे षष्टम की अदालत भेजा गया।

एडीजे षष्ठम की अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। इसके बाद पक्षकार की तरफ से ईदगाह पर अमीन सर्वे के संबंध में सुनवाई करने की मांग को खारिज कर दिया। अब सिविल जज सीनियर डिवीजन में केस चलने योग्य है या नहीं इस पर बहस होगी। पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उनका रिवीजन प्रार्थना-पत्र अदालत ने खारिज कर दिया है। इससे पहले भी अदालत इसे खारिज कर चुकी थी। इस पर पक्षकार ने रिवीजन वाद दाखिल किया था।

महेंद्र प्रताप ने दिसंबर 2021 में सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पुरातत्व विभाग से ईदगाह का सर्वे कराया जाए। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने वाद को सुनवाई योग्य नहीं बताया और कहा कि पहले वाद की पोषणीयता पर सुनवाई की जाए।

इस पर न्यायालय ने बीते वर्ष 21 जुलाई को पहले वाद की पोषणीयता पर सुनवाई का आदेश दिया था। इसके विरुद्ध एडीजे के न्यायालय में वादी ने अपील की थी। यहां भी शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने इनके वाद को निरस्त नहीं किया था, इसलिए ये अपील ही नहीं की जा सकती है। इसलिए पहले वाद की पोषणीयता पर ही सुनवाई अनिवार्य है।

न्यायालय में श्रीकृष्ण जन्मस्थान से संबंधित 14 वाद दायर हो चुके हैं। इसमें पैरवी न करने को कारण दो वादों को निरस्त किया जा चुका है। लखनऊ निवासी मनीष यादव के वाद पर न्यायालय ने पहले पोषणीयता पर सुनवाई का निर्णय दिया था। बाद में न्यायालय में जज का तबादला होने के बाद नए सिरे से वाद पर सुनवाई चल रही है। पहले पोषणीयता पर सुनवाई के निर्णय को शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी अन्य वादों में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करेगी।

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