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G20 Summit 2018: भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है G20, जानें क्या है यह संगठन

विश्व बैंक द्वारा पिछले महीने जारी इज ऑफ डूइंग बिजनेस की सूची में भारत के 23 अंकों की छलांग के साथ 77वें पायदान पर आने से दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुई हैं.

Updated on: 28 Nov 2018, 11:01 AM

नई दिल्ली:

अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक होने वाले जी20 सम्मेलन में दुनिया की ताकतवर राजनीतिक और आर्थिक देश शिरकत करने वाले हैं जिसमें भारत भी एक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को जी20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अर्जेंटीना के लिए रवाना होंगे. भारत इस सम्मेलन में तेल की कीमतों में अस्थिरता के खतरों और आतंकी फंडिंग को रोकने जैसे अहम मुद्दों को दुनिया के सामने रखने वाला है. विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा है कि प्रधानमंत्री 'पुटिंग पीपल फर्स्ट' पर सत्र का नेतृत्व करेंगे जो कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है. दूसरे सत्र में व्यापार, वित्त, कर निर्धारण, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर आम सहमति को लेकर बातचीत होगी.

क्या है जी20 सम्मेलन

जी20 दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक समूह है जो मौजूदा दौर के सबसे जरूरी आर्थिक, वित्तीय चुनौतियों के समाधान और राजनीतिक सहयोग के लिए वैश्विक नीतियों को विकसित करने की दिशा में काम करते हैं. जी20 में 19 देश और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं. 19 देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल है.

जी20 देश वैश्विक अर्थव्यवस्था की 85 फीसदी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के 75 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण रखते हैं. इनमें विश्व की 66 फीसदी जनसंख्या समाहित है. जी20 की स्थापना 1999 में जी7 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर्स ने की थी ताकि अधिक देशों को शामिल कर वित्तीय चुनौतियों का हल निकाला जाय.

2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद जी20 देशों ने शीर्ष राजनीतिक स्तर पर आम सहमति बनाने की जरूरत महसूस की. जिसके बाद जी20 सम्मेलन देश के प्रमुख की उपस्थिति में होती है और आर्थिक हालात से लेकर कई वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा होती है. 2008 के बाद जी20 का एजेंडा वित्तीय बाजारों, व्यापार और विकास तक पहुंच गया.

जी20 सम्मेलन 2018 की खासियत

इस बार के जी20 सम्मेलन का थीम 'बिल्डिंग कंसेंसस फॉर फेयर एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट' है. इसमें 30 से ज्यादा देशों के प्रमुख 2 दिनों के लिए इकट्ठा होंगे. इस सम्मेलन में जी20 के 2018 में कार्यों का समेटा जाएगा और अनुकूल और सतत विकास पर केंद्रित एक घोषणापत्र जारी करेंगे.

इस सम्मेलन में तकनीक पर जोर देने के लिए सहमति बनाई जाएगी जिसके कारण अधिक से अधिक और अच्छे रोजगार की स्थिति पैदा होगी. जी20 सम्मेलन 2018 का लक्ष्य तकनीक के जरिये लोगों की दक्षता और जीवन को आसाना करने का है. तकनीक को अपनाने से लोगों की संभावनाएं बढ़ेगी.

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इस सम्मेलन में 20 देशों के प्रमुख के अलावा आयोजन करने वाला देश अपने विवेक से दूसरे देशों को भी आमंत्रित करता है. इस साल अर्जेंटीना ने चिली और नीदरलैंड को आमंत्रित किया है. स्पेन जी20 सम्मेलन का स्थायी देश है.

भारत क्यों है महत्वपूर्ण

विश्व बैंक द्वारा पिछले महीने जारी इज ऑफ डूइंग बिजनेस (व्यापारिक सुगमता) की सूची में भारत के 23 अंकों की छलांग के साथ 77वें पायदान पर आने से दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुई हैं. पिछले साल भी जी20 देशों ने भारत के सतत और समावेशी विकास के लिए उठाए जा रहे कदमों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी भारत के योगदान को अहम बताया था. 2017 की रिपोर्ट में भारत व्यापार करने में सुगमता के मामले में 100वें पायदान पर था. भारत ने पिछले साल 30 पायदान की बड़ी छलांग लगाकर शीर्ष 100 में अपनी जगह बनाई थी.

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भारत इस साल दुनिया की छठी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है. भारत ने फ्रांस को 7वें स्थान पर पीछे छोड़ कर यह स्थान हासिल किया था. साल 2017 के आंकड़ों के हिसाब से भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) फ्रांस से ज्यादा हो गया. 2017 के आंकड़ों को देखें तो भारत की जीडीपी 2.6 लाख करोड़ थी और फ्रांस की जीडीपी 2.58 लाख करोड़ थी. भारत अब भी दुनिया की सबसे तीव्र विकास दर वाली अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर है. जिसके कारण जी20 देश भारत को प्रमुखता से देख रहे हैं.

इस साल राज्यसभा में सरकार ने एक लिखित जवाब में बताया था कि वर्ष 2014 से विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भारत की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि 2017 में दुनिया की जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 3.1 फीसदी हो गई. सरकार ने बताया कि वर्ष 2015 में यह हिस्सेदारी 2.8 फीसदी और 2016 में तीन फीसदी थी.

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भारत एशिया में विकासशील देशों में आगे होने के साथ-साथ एक बड़ा उभरता बाजार है. वैश्विक व्यापार की हालिया संरक्षणवादी नीतियों को देखते हुए दुनिया भारत की ओर रुख कर रही है. इस साल चीन की आर्थिक विकास दर भी 2009 के बाद सबसे कम पर आ गई थी.

पिछले साल जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में जी20 देशों ने कहा था कि भारत नवोन्मेष और कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स को विदेशों से व्यावसायिक लोन (ईसीबी) जुटाने को बढ़ावा दे रहा है. यह ढांचागत सुधार और स्वस्थ वृद्धि को गति देने के लिए इस साल जी20 सदस्यों द्वारा शुरू किए गए प्रयासों के अनुसार हो रहा है.

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