अरुणाचल बॉर्डर पर चीन को घेरने की पूरी तैयारी, करारा जवाब देने के लिए ऐसे चल रहा काम
भारत आक्रामक चीन का मुकाबला करने के लिए अरुणाचल प्रदेश में अपने बुनियादी ढांचे में तेजी से काम कर रहा है. नई सुरंगों पर तेजी से काम चल रहा है. इस सुरंग के बनते ही इस बॉर्डर इलाके में किसी भी मौसम में सेना आसानी से संपर्क स्थापित करने में सक्षम होगा.
highlights
- अरुणाचल प्रदेश में अपने बुनियादी ढांचे में तेजी से काम जारी
- चीन को टक्कर देने के लिए भारत अब नहीं रहना चाहता पीछे
- चीन कई वर्षों से एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे को किया मजबूत
नई दिल्ली:
भारत आक्रामक चीन का मुकाबला करने के लिए अरुणाचल प्रदेश में अपने बुनियादी ढांचे में तेजी से काम कर रहा है. नई सुरंगों पर तेजी से काम चल रहा है. इस सुरंग के बनते ही इस बॉर्डर इलाके में किसी भी मौसम में सेना आसानी से संपर्क स्थापित करने में सक्षम होगा. इस सुरंग के पूरा होते ही भारतीय सेना का तवांग तक पहुंचना और हथियारों की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी. इसके अलावा दुश्मनों से मुकाबला करने के लिए सीमा के पास नई सड़कों, पुल, हेलीकॉप्टर बेस बनाने और गोला-बारूद के लिए भूमिगत भंडारण को मजबूत करने पर तेजी से कार्य किया जा रहा है. हालांकि इनमें से अधिकांश परियोजनाओं की योजना पहले बनाई गई थी, लेकिन वर्तमान में चीन के साथ चल रहे गतिरोध को देखते हुए इन परियोजनाओं में तेजी से कार्य शुरू कर दिया गया है.
हालांकि, तेजी से निर्माण के बावजूद रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र स्वीकार करते हैं कि बुनियादी ढांचे के मामले में हम चीन से एक दशक पीछे हैं. सूत्रों के अनुसार, चीन कई वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ अपने बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और एलएसी के समीप बेहतर सड़क संपर्क का निर्माण कर चुका है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन के पास बेहतर बुनियादी ढांचा है, अब टक्कर देने के लिए इस स्थिति को पूरी तरह बदला जा रहा है. भारत ने अब बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को नवीन और आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ तेजी से कार्य चल रहा है. इसके अलावा भी और भी कई नई परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं.
बुनियादी ढांचे में किया जा रहा बदलाव
सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में बुनियादी ढांचे में बदलाव आया है. दूसरे स्रोत ने कहा, अब से एक साल बाद चीजें काफी अलग नजर आएंगी और बुनियादी ढांचे में और भी सुधार आएगा. सूत्र मानते हैं कि चीन के साथ जारी तनाव के मद्देनजर अधिकारियों और सेना को ऐसा महसूस होने लगने लगा है कि यह काम अब बहुत ही जरूरी हो गया है जो पूरी एलएसी तक केंद्रित है यानी कि यह केवल सिर्फ पूर्वी लद्दाख तक ही सीमित नहीं रह गया है.
बॉर्डर पर सेना की तैनाती के पैटर्न में बदलाव
परंपरागत रूप से लद्दाख में 832 किलोमीटर लंबी एलएसी की निगरानी 14वीं कोर की एक डिवीजन करती है और वहीं पूर्वी कमान में 1,346 किलोमीटर लंबी एलएसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस क्षेत्र में दो कोर (तीन डिवीजन प्रत्येक) को सौंपी गई है, जिसने इसे देशभर में सबसे भारी सुरक्षा वाला एक क्षेत्र बना दिया है. हालांकि, एलएसी पर बढ़ते तनाव को देखते हुए पूर्वी लद्दाख में अधिक सैनिकों को शामिल किए जाने के साथ सेना की तैनाती के पैटर्न में कई बदलाव किए गए हैं. पूर्वी और उत्तरी दोनों कमानों को भी अतिरिक्त रूप से सेना का एक-एक आक्रामक दल भी शामिल किया गया है.
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