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किसान केएमपी एक्सप्रेस-वे 10 अप्रैल को 24 घंटे बंद रखेंगे

सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए आंदोलन के 135वें दिन 10 अप्रैल को केएमपी एक्सप्रेस-वे (KMP Express Way) को 24 घंटे के लिए बंद रखने का आह्वान किया गया है.

Updated on: 09 Apr 2021, 08:03 AM

highlights

  • कल किसान आंदोलन का होगा 135वां दिन
  • केएमपी एक्सप्रेस-वे रहेगा 24 घंटे बंद
  • जनता को नहीं होने देंगे परेशानी

नई दिल्ली:

कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन करते हुए गुरुवार को 133 दिन हो गए. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए आंदोलन के 135वें दिन 10 अप्रैल को केएमपी एक्सप्रेस-वे (KMP Express Way) को 24 घंटे के लिए बंद रखने का आह्वान किया गया है. मोर्चा ने भरोसा दिलाते हुए कहा, 'हम सभी किसानों की तरफ से आश्वस्त करते हैं कि बंद के दौरान एक्सप्रेस-वे पर लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा.' दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे लंबे आंदोलन (Farmers Protest) को किसान मजबूत धार देने में लगे हुए हैं, यही वजह है कि देश के विभिन्न हिस्सों में महापंचायतों के अलावा कभी भारत बंद तो कभी केएमपी बंद करने की रूपरेखा बनाई जा रही है.

सरकार तक आवाज पहुंचाना मकसद
सयुंक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया कि किसान कभी नागरिकों को परेशान नहीं कर सकते, उनकी मंशा सिर्फ सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाना है. मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा, 'हम सभी किसानों की तरफ से आश्वस्त करते हैं कि केएमपी बंद पूर्ण रूप से शांतमय रहेगा. हम आम नागरिकों से आग्रह करते हैं कि अन्नदाता के सम्मान में इस कार्यक्रम में अपना सहयोग दें.' तीन नए खेती कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से ही राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने सरकार पर दबाब डालने के लिए इससे पहले भी रणनीति बनाकर आंदोलन के अलग-अलग रूप दिखा चुके हैं, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच फिर से वार्ता शुरू होने की सूरत अब तक नहीं बन पाई है.

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सुप्रीम कोर्ट को कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
इस बीच तीन नए विवादास्पद कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 19 मार्च को एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है. किसान पिछले 4 महीनों से इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को इन तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी थी और गतिरोध का समाधान करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी नियुक्त की थी. कमेटी को कानूनों का अध्ययन करने और सभी हितधारकों से चर्चा करने के लिए दो महीने का समय दिया गया था. अब अदालत भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करेगी. कमेटी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, कमेटी ने किसान संगठनों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की खरीद एजेंसियों, पेशेवरों, शिक्षाविदों, निजी और साथ ही राज्य कृषि विपणन बोर्डों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के कुल 12 दौर किए.

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सरकार और किसान नेताओं में गतिरोध जारी
कमेटी ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले नौ आंतरिक बैठकें भी कीं. मिश्रा के अलावा कमेटी के अन्य सदस्यों में शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत और कृषि अर्थशास्त्री तथा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी शामिल हैं. कमेटी के चौथे सदस्य भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने काम शुरू करने से पहले ही कमेटी से खुद को अलग कर लिया था. केंद्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.