पहले मंत्रिमंडल में हुए शामिल, फिर ली विदेश मंत्री की शपथ और आज BJP को किया Join
64 वर्षीय जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं और उस समय वह बीजेपी के भी सदस्य नहीं थे.
highlights
- 1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी थे जयशंकर
- एस. जयशंकर ने एनएसए अजीत डोभाल के साथ भी बेहतर संबंध
- इस साल जनवरी में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा आई मोदी सरकार ने 30 मई को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए एस जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया था. 64 वर्षीय जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं और उस समय वह बीजेपी के भी सदस्य नहीं थे. अब जाकर उन्होंने बीजेपी की विधिवत सदस्यता ग्रहण की है. उन्होंने जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव के रूप में कार्य किया और पिछली सरकार में विदेश मंत्री के रूप में उन्हें और स्वराज दोनों को भारत की विदेश नीति में जीवंतता लाने का श्रेय दिया गया.जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं.
जयशंकर पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के प्रेस सेक्रेटरी भी रह चुके हैं. सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक जयशंकर ने राजनीति विज्ञान में एमए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और पीएचडी की उपाधि हासिल की है. एस. जयशंकर की शादी क्योको जयशंकर से हुई है और उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं. इस साल जनवरी में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था, जो देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.
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देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के. सुब्रमण्यम के पुत्र एस. जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे. इस समझौते के लिए 2005 में शुरुआत हुई थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जयशंकर संयुक्त सचिव (अमेरिका) भी रह चुके हैं.
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2015 के जनवरी में एस. जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के मोदी सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी.सुजाता को उनका कार्यकाल पूरा होने के छह महीने पहले ही हटा दिया गया था. ऐसा माना जाता है कि सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पहली अमेरिका यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी एस. जयशंकर से काफी प्रभावित हुए थे.
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इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की थी और न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया था, जिसने उन्हें एक वैश्विक पहचान दी थी. 1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 64 वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव रहे हैं.
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दो साल के कार्यकाल के दौरान एस. जयशंकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भी बेहतर संबंध बनाने में भी समर्थ हुए थे. 2018 में सेवानिवृत्त होने तक उनके पास बतौर नौकरशाह तीन दशक का लंबा अनुभव था और उन्होंने अपनी पहचान एक कुशल वार्ताकार के रूप में बना ली थी.
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