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क्या अंधकार में डूब जाएगा पूरा देश? जानें कैसे बढ़ रहा बिजली का संकट

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट की स्थिति बढ़ती जा रही है. इस बिजली संकट के पीछे कोयले की भारी कमी बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार ​कोयले की कमी के चलते कई पावर प्लांट बंद हो गए हैं

Updated on: 11 Oct 2021, 05:43 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट की स्थिति बढ़ती जा रही है. इस बिजली संकट के पीछे कोयले की भारी कमी बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार ​कोयले की कमी के चलते कई पावर प्लांट बंद हो गए हैं. वहीं दिल्ली में बिजली संकट गहरा सकता है. दिल्ली में प्रदूषण के चलते पावर प्लांट बन्द कर दिए है जिसके चलते दिल्ली की निर्भरता दूसरे राज्यो पर है जहां कोल प्लांट के ज़रिए बिजली उत्पादित की जाती है. लेकिन अभी तक की स्थिति के मुताबिक एनटीपीसी के तमाम प्लांटों से जहां दिल्ली को 4000 मेगावाट के करीब बिजली मिलती थी उसकी आपूर्ति घटकर 50 फीसदी के करीब रह गई है।यानी बिजली के लिहाज से दिल्ली की खुराक का आधा हिस्सा भी इन प्लांट्स से दिल्ली को नही मिल रहा है. यही वजह है की दिल्ली सरकार व केंद्र इस मुद्दे पर भी आमने सामने आ गए है, जहां केंद्र का मानना है की कोयले की सप्लाई लगभग सुचारू स्थिति में है तो वही दिल्ली सरकार का आरोप है कि इन प्लांटो में कोयले की कमी है जिस वजह से ये प्लांट केवल 55 फीसदी क्षमता पर काम कर है जिससे बिजली संकट गहरा सकता है.

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पंजाब में बिजली के कट

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सतेंदर जैन के मुताबिक " किसी भी पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक किसी भी हालत में 15 दिन से कम का नहीं होना चाहिए, ज्यादातर प्लांट में 1 से 2 दिन का स्टॉक ही बचा है. NTPC जो सबसे ज्यादा बिजली बनाती है, आज उसके ज्यादातर प्लांट 55 फ़ीसदी कैपेसिटी पर चल रहे हैं. थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की बड़ी दिक्कत है, तभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, पंजाब में बिजली के कट लग रहे हैं. बिजली की समस्या है इसको मानना चाहिए. " 

अब हम आपको  बताते है कि दिल्ली को कहां कहां से कितनी बिजली मिलती है"राजधानी को सबसे अधिक बिजली एनटीपी दादरी (756 मेगावॉट) और एनटीपीसी दादरी-2 (728 मेगावॉट) से मिलती है। इसके बाद दूसरा नंबर झज्जर थर्मल पावर प्लांट (693 मेगवॉट) का आता है. इसके अलावा सासन ( 446 मेगावॉट), एनटीपीसी रिहंद (358 मेगावॉट), एनटीपीसी सिंगरौली (300 मेगावॉट), कहलगांव (157 मेगावॉट), एसजेवीएनएल नाथपा झाकरी (142 मेगावॉट), एनटीपीसी ऊंचाहार (100 मेगावॉट) व अन्य पावर प्लांट से भी बिजली मिलती है । इस संकट के समय मे  दिल्ली की गैस प्लांट पर  निर्भरता बढ़ गई है अभी दिल्ली में बवाना - रिठाला और प्रगति पावर प्लांट 1 में 1900 मेगावाट की क्षमता वाले 3 पावर प्लांट काम कर रहे है जिनसे 1300 मेगावाट बिजली उत्पन्न की जा पा रही है हालांकि ये बिजली सरकार को बहुत ही महँगी पड़ रही है।दिल्ली सरकार को इन प्लांट से बिजली का उत्पादन 17.25 रुयपे प्रति यूनिट के हिसाब से हो मिल रहा है।वही बाज़ार से भी दिल्ली बिजली खरीदता है जिसे 'स्पॉट पर्चेस" कहा जाता है इस वक़्त उसकी कीमत भी दिल्ली को 20 रुपये प्रति यूनिट चुकानी पड़ रही है.

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दिल्ली को अंधेरे का सामना करना पड़ सकता है

हालांकि  वर्तमान में डिमांड कम होने के चलते अभी नही लग रहे पावर कट,लेकिन धयान देने की बात ये है की दिल्ली में जुलाई महीने में 7400 मेगावाट तक मांग चली गई थी जो 10 अक्टूबर को मात्र 4500 MW के आसपास रही जबकि जिसके चलते अभी दिल्ली में बिजली की आपूर्ति हो पा रही है  लेकिन ये कोयला संकट कुछ और दिन चला तो दिल्ली को अंधेरे का सामना करना पड़ सकता है.

कोयले की कमी से दादरी पवार प्लांट प्रभावित

कोयले की कमी का असर दादरी पवार प्लांट पर दिखना शुरू हो गया है. फिलहाल NTPC दादरी में एक दिन का कोयला बचा हुआ है. इस पवार प्लांट में गैस और कोयले से बिजली का उत्पादन होता है. NTPC के अधिकारियों का कहना कि सरकार ने समय रहते कोयले की सप्लाई करने का अस्वासन दिया है.  NTPC पूरी दिल्ली को बिजली सप्लाई करता है उसके अलावा यूपी और देश के अन्य राज्यों को भी  बिजली सप्लाई की जाती.  NTPC पॉवर प्लांट  में एक दिन में 26000 मैट्रिक टन कोयले की ख़पत है. NTPC दादरी 2655 मेगावाट बिजली हर रोज बना सकता है. NTPC अब 989 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर रहा है. अधिकारियों का कहना है कि अभी जितना उत्पादन किया जा रहा है उतनी ही डिमाण्ड NTPC के पास है. सरकार ने NTPC को 25 हज़ार 200 मैट्रिक टन कोयला रोजना देने का आश्वासन दिया.