दिशा रवि की दिल्ली हाई कोर्ट से जांच से जुड़ी जानकारी शेयर करने पर रोक की मांग
Greta Toolkit: दिशा रवि ने दिल्ली हाइकोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की है कि अदालत पुलिस को निर्देश दे कि जांच से जुड़े मेटीरियल मीडिया को लीक न किये जाएं. इसके अलावा दिशा ने कुछ टीवी चैनल पर कार्रवाई की मांग भी की है.
highlights
- क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि की दिल्ली हाई कोर्ट से गुहार
- जांच से जुड़ी जानकारी मीडिया में लीक होने से रोके
- कुछ चैनलों पर भी रोक लगाने की मांग की
नई दिल्ली:
ग्रेटा टूलकिट (Greta Toolkit) प्रकरण में गिरफ्तार दिशा रवि ने दिल्ली हाइकोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की है कि अदालत पुलिस को निर्देश दे कि जांच से जुड़े जानकारियां मीडिया को लीक न किये जाएं. इसके अलावा दिशा (Disha Ravi) ने कुछ टीवी चैनल पर कार्रवाई की मांग भी की है. साथ ही कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) मीडिया संस्थानो को किसी दूसरे के साथ हुए व्हाट्सप्प चैट के हिस्सों को प्रसारित करने पर रोक लगाए. रविवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार दिशा को लेकर पहले ही बयानबाजी का तूफान उठा हुआ है. कांग्रेस समेत आम आदमी पार्टी और गैर सरकारी संगठन दिशा की गिरफ्तारी का विरोध कर दिल्ली पुलिस की कार्य़शैली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं. यह अलग बात है कि दिल्ली हिंसा से जुड़ी साजिश के चौंकाने वाले साक्ष्य और उनसे जुड़े बड़े नाम सामने आ रहे हैं.
120 जीबी डाटा की हो रही स्क्रूटनी
जांच से जुड़े पुलिस सूत्रों का दावा है कि दिल्ली पुलिस लगभग 115-120 जीबी डाटा की स्क्रूटनी कर रही है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि टूलकिट साजिश में निकिता का दिशा से भी बड़ा रोल है. सभी आरोपी टूलकिट को आपस मे 'कम्युनिकेशन पैकेज' के नाम से बुलाते थे. पुलिस सूत्रों की मानें तो निकिता के घर 11 फरवरी को जब दिल्ली पुलिस ने सर्च किया, तो उनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से काफी डाटा रिकवर हुआ था. उसमें वॉट्सऐप चैट, ई-मेल वगरैह थे. सूत्रों का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने निकिता और पीटर फ्रेडरिक के वॉट्सऐप चैट भी रिकवर किए हैं. बातचीत में दोनों सिक्योर एप के नाम पर आपस मे बातचीत कर रहे हैं कि कौन सा एप सिक्योर है, जिसके जरिए आपस मे बातचीत की जा सकती है.
यह भी पढ़ेंः टूलकिट केस में खुलासा, ड्राफ्ट बॉक्स के जरिए ऐसे रची जा रही थी साजिश
दिशा से बड़ी गुनाहगार है निकिता जैकब
सूत्रों ने बताया कि निकिता जैकब ही दिशा रवि को टूलकिट वाली साजिश में लेकर आईं. निकिता सीधे पीटर फ्रेडरिक के संपर्क में थीं. वह लगातार पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का ई-मेल भी इस्तेमाल कर रही थीं. छानबीन के बाद पता चला है कि शांतनु और निकिता के कहने पर ही दिशा रवि ने स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी थी. पुलिस सूत्रों का कहना है कि निकिता के घर पर छापेमारी की गई थी, इसलिए उसके मोबाइल और लैपटॉप में ज्यादातर डाटा पुलिस के हाथ लग गया है. निकिता के मोबाइल पर वॉट्सऐप चैट से पता चला है कि पीटर फ्रेडरिक से वह लगातार चैट कर रही थीं. विदेश में बैठे एमओ धालीवाल और पीटर फ्रेडरिक ने किसान आंदोलन को बड़ा बनाने और उसके जरिए विद्रोह पैदा करने की योजना बना ली थी. इसके लिए दिसंबर से ही प्लानिंग होने लगी. पुलिस सूत्रों का कहना है कि निकिता और शांतनु पहले से पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़े थे. दोनों पर्यावरण के लिए आवाज उठाने वाले एनजीओ एक्सआर से भी जुड़े थे. इसमें दिशा रवि के अलावा कई देशों के पर्यावरणविद् भी जुड़े थे.
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