सुब्रमण्यम के बयान के बाद चिदंबरम का मोदी सरकार पर हमला, नोटबंदी को बताया मूर्खतापूर्ण फैसला
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक बार फिर नोटबंदी और जीएसटी को लेकर मोदी सरकार पर करारा हमला बोलते हुए इसे मूर्खतापूर्ण करार दिया है.
नई दिल्ली:
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक बार फिर नोटबंदी और जीएसटी को लेकर मोदी सरकार पर करारा हमला बोलते हुए इसे मूर्खतापूर्ण करार दिया है. उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों पर हमला बोलते हुए कहा, नोटबंदी लागू करना एक मूर्खतापूर्ण कदम था. जीएसटी को जिस तरह से उसके उम्मीदों के विपरीत जाकर लागू किया गया वो भी गलत था. उन्होंने कहा, मुझे समझ नहीं आता कि पूर्व सीईए अरविंद सुब्रमण्यम ने उस वक्त सरकार को यह क्यों नहीं बताया जब वो सेवा में थे. सरकार लोगों में क्या डर बिठाना चाहती है.
गौरतलब है कि भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन (arvind subramanian)ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह एक झटके के समान थी. उन्होंने कहा कि नोटबंदी एक सख्त कानून था और इससे मौद्रिक नीति को झटका लगा. जिसके चलते देश की अर्थव्यवस्था 7 तिमाही के सबसे निचले स्तर 6.8 फीसदी तक गिर गई थी. जब नोटबंदी लागू की गई थी तब सुब्रमण्यन (arvind subramanian) भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे.
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अपनी किताब के एक चेप्टर 'The Two Puzzles of Demonetisation - Political and Economic' में उन्होंने लिखा है कि नोटबंदी से पहले की 6 तिमाही में देश की जीडीपी की वृद्धि दर औसतन 8 प्रतिशत थी, जबकि इस फैसले के लागू होने के बाद यह औसतन 6.8 फीसदी रह गई.
हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यन (arvind subramanian) ने 4 साल के कार्यकाल के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. 'Of Counsel: The Challenges of the Modi-Jaitley Economy' नाम की सुब्रमण्यन की किताब जल्द ही आने वाली है. इसी किताब में उन्होंने इन बातों का जिक्र किया है.
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पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि कोई इस बात पर विवाद करेगा कि नोटबंदी के कारण ग्रोथ रेट धीमी हुई. सुब्रमण्यन (arvind subramanian) के मुताबिक, इस बात पर बहस जरूर हो सकती है कि इसका प्रभाव कितान बड़ा था. यह दो या उससे कम फीसदी की हो सकती है. सुब्रमण्यन ने कहा कि वैसे इस अवधि में कई अन्य कारकों ने भी जीडीपी की वृद्धि को प्रभावित किया है. इसमें उच्च वास्तविक ब्याज दर, GST और पेट्रो पदार्थों की कीमतें भी एक कारण हैं.
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