राष्ट्रीय राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में हुए दंगों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से अगले हफ्ते तक याचिकाकर्ताओं की ओर से रखी गई दलीलों का जवाब देने के लिए कहा है. जिसके बाद सुनवाई को एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अजय गौतम ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस कुछ नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की मांग की है.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि CAA विरोधी प्रदर्शनों के पीछे राष्ट्रविरोधी ताकतों की शह की NIA जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने भी इन प्रदर्शनों के पीछे गहरी साजिश को लेकर अपना जवाब दाखिल किया है. इन मामलों मेंअकेले दिल्ली पुलिस की जांच पर्याप्त नहीं है. इस गहरी साजिश की NIA जांच जरूरी है. हालांकि इस पर कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर किसी शख्स को शिकायत है तो उसे FIR दर्ज करने के लिए 156(3) के तहत कोर्ट का रुख करना चाहिए. सिब्बल ने कहा कि आर्टिकल 226 के तहत अर्जी दाखिल करना ठीक है.
उधर, इस मामले में एक दूसरे पक्षकार जमीयत उलेमा ए हिन्द ने दलील कि दंगों में समुदाय विशेष के लोगों को टारगेट किया गया. समुदाय विशेष के पीड़ितों ने जब दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने वालों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करानी चाही तो पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की. हमारी इन शिकायतों पर दिल्ली पुलिस ने कोई जवाब नहीं दाखिल किया है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील ने कहा कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट का निष्कर्ष भी यही है कि दंगों में समुदाय विशेष को टारगेट किया गया. आयोग ने 5 सदस्य कमेटी से निष्पक्ष जांच कराए जाने की जरूरत जताई हैं. हम भी इससे सहमत हैं.
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इस सभी की दलीलों को सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई को एक हफ्ते के लिए टाल दिया, लेकिन कोर्ट ने दिल्ली पुलिस ने याचिकाकर्ताओं की ओर से रखी गई दलीलों का जवाब देने के लिए कहा है. बता दें कि याचिकाकर्ता अजय गौतम ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि वारिश पठान, असाउद्दीन ओवैसी, सलमान खुर्शीद समेत अन्य नेताओं द्वारा दिए गए CAA विरोधी बयान पर मुकदमा दर्ज हो, क्योंकि इनके भड़काऊ भाषण से उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़की थी.