डीटीसी बसों की खरीद की जांच का आदेश दे केंद्र, वरना केन्द्रीय सर्तकता आयोग-सीबीआई में दर्ज कराएंगे शिकायत : दिल्ली कांग्रेस
डीटीसी बसों की खरीद की जांच का आदेश दे केंद्र, वरना केन्द्रीय सर्तकता आयोग-सीबीआई में दर्ज कराएंगे शिकायत : दिल्ली कांग्रेस
नई दिल्ली:
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दिल्ली सरकार पर डीटीसी बसों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जांच सीबीआई व केन्द्रीय सर्तकता आयोग से कराने की मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि मोदी सरकार को 24 घंटे का समय देते हैं वह डीटीसी बस खरीद और मेंटेनेन्स घोटाला की विस्तृत जांच के आदेश जारी करें, वरना हम सीबीआई और केन्द्र सर्तकता आयोग के समक्ष भ्रष्टाचार के पुख्ता दस्तावेज स्वयं दर्ज कराकर दिल्ली की जनता की ओर से अपनी शिकायत करेंगे।प्रदेश कांग्रेस के अनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो-फ्लोर बसों की खरीद के अलावा उसकी मेंटेनेन्स के 3413 करोड़ के टेंडर पर हुए भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई व केन्द्रीय सर्तकता आयोग से होनी चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि, दिल्ली सरकार द्वारा 1000 बसों को खरीदने की प्रक्रिया में 4288 करोड़ का घोटाला हुआ है। प्रति बस की कीमत 85.5 लाख तय होने के बावजूद टेंडर रद्द करके 20 करोड़ के बढ़ोत्तरी के साथ 87.5 लाख में 1000 बसें खरीदना तय हुआ, जबकि कम्पनियों द्वारा बसों की 3 वर्षों की मेंटेनेन्स की वांरटी में होने के बावजूद केजरीवाल सरकार ने 3413 करोड़ का मेंटेनेन्स टेंडर निकाला गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि, दिल्ली सरकार और भाजपा द्वारा पिछले 7 वर्षों हुए भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली की परिवहन व्यवस्था ध्वस्त हो गई, क्योंकि डीटीसी की एक भी बस नहीं खरीदी गई। वहीं दिल्ली की जनता जानती है कि भ्रष्टाचार में आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों बराबर की दोषी हैं।
भाजपा ने केजरीवाल पर दवाब बनाने के लिए एसीबी द्वारा डीटीसी बस खरीद व मेंटेनेन्स घोटाले को उपराज्यपाल को भेज दिया गया है जिसकी की प्रारंभिक जांच की पुष्टि उपराज्यपाल ने करके एक रिटायर्ट जज की तीन सदस्यां की समिति बना दी है।
उन्होंने आगे कहा कि, जिसमें केवल मेंटेनेन्स टेंडर से जुड़े 5 बिंदुओं पर ही जांच करने पर जोर दिया गया है। जिन पांच बिंदुओं पर जांच हुई उसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने तो आया परंतु एएमसी ने कांट्रेक्ट रद्द तो कर दिया, परंतु विस्तृत जांच के आदेश नहीं दिए गए और न ही संलिप्त नेताओं, अधिकारियों के खिलाफ कोई आदेश दिए गए।
हालांकि इससे पहले इस मसले पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को कहा था कि, केंद्र द्वारा नियुक्त समिति ने दिल्ली सरकार को बसों की खरीद के मामले में क्लीन चिट दे दी है। यह मुख्यमंत्री केजरीवाल की ईमानदार राजनीति का सबूत है।
दरअसल तीन सदस्यीय समिति में दिल्ली सरकार के परिवहन और सतर्कता आयुक्त शामिल थे, इसका गठन पिछले महीने उपराज्यपाल अनिल बैजल ने किया था, जिसने आठ जुलाई को बैजल को अपनी रिपोर्ट सौंपी थीं।
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