टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने Zoom को लिखा लेटर, 11 जनवरी की मीटिंग की जानकारी मांगी
दिल्ली पुलिस ने जूम (ZOOM) को एक पत्र लिखा है और 26 जनवरी को हुई हिंसा मामले में जूम पर 'टूलकिट' को लेकर हुई मीटिंग की जानकारी मांगी है.
highlights
- टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस को Zoom को पत्र
- 11 जनवरी को हुई जूम मीटिंग की मांगी जानकारी
- 'टूलकिट' को लेकर हुई थी जूम मीटिंग
नई दिल्ली:
26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा मामले के बाद सामने आए 'टूलकिट' मामले में लगातार खुलासे हो रहे हैं. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने जांच तेज कर दी है. दिल्ली पुलिस ने जूम (ZOOM) को एक पत्र लिखा है और 26 जनवरी को हुई हिंसा मामले में जूम पर 'टूलकिट' को लेकर हुई मीटिंग की जानकारी मांगी है. दिल्ली पुलिस ने जूम (ZOOM) को लिखे लेटर में, जो मीटिंग्स जूम के जरिए हुई थी, उसमें कौन कौन शामिल था, उनकी जानकारी मांगी है. क्योंकि ये बात सामने आ रही है कि 11 जनवरी को ही नहीं, बल्कि 22 जनवरी को भी जूम प्लेटफार्म पर मीटिंग की गई थी. जिसमें किसान आंदोलन को बड़ा करने की आड़ में भड़काने का एजेंडा प्लान हुआ था.
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26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा की साजिश कितनी गहरी थी, इसका खुलासा टूलकिट की इन्वेस्टीगेशन में साइबर सेल ने सिलसिलेवार किया है. सोमवार को साइबर सेल ने खुलासा किया कि रिपब्लिक डे के पहले 11 जनवरी को एक जूम मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में एमओ धालीवाल, निकिता और दिशा के अलावा करीब 70 लोग शामिल हुए थे. एमओ धालीवाल ने कहा कि मुद्दे को बड़ा बनाना है. मकसद ये था कि किसानों के बीच असंतोष और गलत जानकारी फैलाना है. 26 जनवरी की हिंसा के बाद अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी और एक्टिविस्ट से संपर्क किया गया. चूंकि दिशा ग्रेटा को जानती थीं इसलिए उसकी मदद ली गई.
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साइबर सेल के मुताबिक, टूल किट बहुत सोच समझकर बनाई गई है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि किसे फॉलो करना है, किस हेशटैग को ट्रैंड कराना है. टूलकिट में हाइपर लिंक एड थे, जो बेवसाइट और गूगल ड्राइव से लिंक थे. उस वेबसाइट पर जाएंगे, वो खालिस्तान समर्थक वेबसाइट है. लोग उन डाक्यूमेंटस पर पहुंचकर उसको एक्सेस करते थे. जो प्रो देश विरोधी एजेंडे के लिए थे. टूल किट में पूरी हिंसा की साजिश की थी. देश की धरोहरों को नुकसान पहुंचाने और एंबेसी को टारगेट किया जाना था.
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उल्लेखनीय है कि टूलकिट मामले में दिशा की गिरफ्तारी हो चुकी है. दिशा ने एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया था, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया. पुलिस का दावा है कि दिशा ही नहीं, उसकी साथी निकिता और शांतनु इस पूरी साजिश की अहम कड़ी थे. यह लोग पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन के एजेंडा पर किसान आंदोलन और ट्रैक्टर रैली की आड़ में देश भक्ति मुहिम सोशल मीडिया पर चला रहे थे. निकिता पेशे से वकील है और शांतनु इंजीनियर. दोनों आरोपियों के खिलाफ अहम सबूत मिलने के बाद पुलिस ने अदालत से गैर वारंट जारी कराने के बाद तलाश शुरू कर दी है.
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