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बिना मास्क चुनाव प्रचार करने वाले नेताओं पर बैन की मांग, दिल्ली HC का नोटिस

मास्क न पहनने वाले उम्मीदवारों/ नेताओं को चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने  केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.

Updated on: 22 Mar 2021, 01:59 PM

नई दिल्ली:

पांच राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ज़रूरी दिशानिर्देशों का बार-बार उल्लंघन करने वालों और मास्क न पहनने वाले उम्मीदवारों/ नेताओं को चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने  केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. हालांकि जिरह के दौरान  चुनाव आयोग ने नोटिस जारी करने का विरोध किया. उनके वकील पंकज चोपड़ा ने दलील दी कि दिल्ली में चुनाव नहीं हो रहे हैं. मास्क सम्बंधी दिशानिर्देश जारी करना राज्यों के जिला स्तर के अधिकारियों का काम है. सिर्फ चुनाव आयोग का दफ़्तर दिल्ली में होने की वजह से दिल्ली हाई कोर्ट को इस याचिका पर  सुनवाई नहीं करनी चाहिए. 

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याचिकाकर्ता विक्रम सिंह की ओर से पेश हुए वकील विराग गुप्ता ने दलील दी कि कोविड के बढ़ते  खतरे के बीच चुनाव आयोग की दलील बेबुनियाद है. 26 फरवरी के आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक चुनाव से जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल हर शख़्स के लिए मास्क पहनना ज़रूरी है. वकील विराग गुप्ता ने  कोलकाता- दिल्ली फ्लाइट के दौरान यात्रियों द्वारा मास्क न पहनने के मसले पर जस्टिस हरिशंकर के स्वत: संज्ञान लेने वाले आदेश का हवाला दिया. उन्होंने कहा- इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में ज़रूरी दिशा निर्देश जारी किए , जिन पर अमल होने के चलते  मास्क न पहनने पर बहुत सारे लोगों को फ्लाइट में बैठने की इजाज़त नहीं दी गई. इस मामले में दिशानिर्देश DDCA को जारी किए गए. जब दिल्ली हाईकोर्ट कोलकाता एयरपोर्ट पर मास्क न पहनने की घटना पर संज्ञान ले सकता है तो कोर्ट इस याचिका पर भी संज्ञान ले सकता है. चुनाव आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत क़ानूनी और संवैधानिक दायित्वों को निभाना चाहिए. बहरहाल  कोर्ट ने दोनों की दलील सुनने के बाद गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दिया.

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याचिका में क्या कहा गया है
कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन का मौलिक अधिकार है और चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रचारकों और उम्मीदवारों के मास्क नहीं पहनने की वजह से उनका यह अधिकार प्रभावित होता है. चुनाव आयोग ने इसके लिए दिशानिर्देश भी जारी किए है. अगर इनका पालन नहीं होता है तो कोर्ट आयोग को उन पर प्रचार से रोक लगाने को कहे.