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दिल्ली हिंसा में हाईकोर्ट ने लावारिस शवों का निपटारा करने का दिया निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली (Delhi Violence) की हिंसा में मारे गए उन शवों का निपटान करे, जिनकी अब तक पहचान नहीं हो सकी है.

Updated on: 11 Mar 2020, 08:37 PM

highlights

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को लावारिस शवों के निपटारे के दिए निर्देश.
  • हालांकि सुरक्षित रखे जाएंगे डीएनए सैंपल्स और बायोप्सी रिपोर्ट.
  • हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई और 400 से अधिक लोग घायल.

नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली (Delhi Violence) की हिंसा में मारे गए उन शवों का निपटान करे, जिनकी अब तक पहचान नहीं हो सकी है. इन शवों की जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के दो हफ्ते बाद निपटारा करें. जस्टिस विपिन सांघी और रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने निर्देश किया कि दिल्ली पुलिस को लापता (Missings) व्यक्तियों के मामले में जानकारी प्रकाशित करना चाहिए और अज्ञात शवों के बारे में सूचना देनी चाहिए. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो सरकारी अस्पतालों की मर्चुरी में रखे सभी शवों की फोटो और जानकारियां अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे.

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शवों की डीएनए सैंपल सुरक्षित
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के पूर्व आदेशों के अनुसार इन सभी शवों की बायोप्सी और डीएनए सैंपल को सुरक्षित रखा जा रहा है. शुक्रवार को कोर्ट ने सभी सरकारी अस्पतालों को दिल्ली हिंसा के शिकार हुए लोगों के सभी शवों के पोस्टमार्टम का वीडियो बनाने को कहा था. यह बेंच हिंसा के दौरान लापता हुए व्यक्ति हमजा के साथ-साथ सभी लापता लोगों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है. हमजा के साले अंसारी एम आरिफ ने 23 फरवरी को भड़की हिंसा के दौरान हमजा के लापता होने पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

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दिल्ली हिंसा में 53 मारे गए 400 से ज्यादा घायल
दिल्ली पुलिस ने शनिवार को बताया कि पिछले महीने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा के सिलसिले में 690 मामले दर्ज किए गए हैं और 2,193 लोगों को हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है. इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 400 से अधिक लोग घायल हुए हैं. पुलिस की ओर से जारी बयान के मुताबिक आर्म्स एक्ट के तहत 48 मामले दर्ज किए गए हैं.