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समुद्र में भी चीन को घरने की तैयारी, रक्षामंत्री ने प्रोजेक्ट सीबर्ड का लिया जायजा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कर्नाटक के करवार नौसेना बेस में देश की सबसे बड़ी नौसैनिक बुनियादी ढांचा परियोजना- प्रोजेक्ट सीबर्ड की समीक्षा की. वह कोच्चि में स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण की भी समीक्षा करेंगे.

Updated on: 24 Jun 2021, 06:03 PM

highlights

  • राजनाथ ने करवार बेस पर प्रोजेक्ट सीबर्ड का लिया जायजा
  • कोच्चि में वह विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण की समीक्षा करेंगे
  • भारत में वर्तमान में आईएनएस विक्रमादित्य एकमात्र परिचालन विमान वाहक है

बेंगलुरु:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कर्नाटक के करवार नौसेना बेस में देश की सबसे बड़ी नौसैनिक बुनियादी ढांचा परियोजना- प्रोजेक्ट सीबर्ड की समीक्षा की. वह कोच्चि में स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण की भी समीक्षा करेंगे. सिंह दिन में दो दिवसीय करवार और कोच्चि के दौरे पर नई दिल्ली से रवाना हुए. रक्षा मंत्री ने कारवार के लिए रवाना होने से पहले ट्वीट किया, करवार में चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास और कोच्चि में स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) के निर्माण की प्रगति की भी समीक्षा करेंगे. इस यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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दोनों परियोजनाएं भविष्य में भारतीय नौसेना की क्षमताओं और रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. करवार आधार यात्रा रक्षा मंत्री को पश्चिमी मोर्चे पर भविष्य के संचालन के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना जायजा लेंगे. ऑपरेशन सीबर्ड नामक नौसैनिक अड्डे का पहला चरण 2005 में पूरा हुआ और दूसरा चरण 2011 में शुरू हुआ. 3,000 फीट लंबा रनवे, 30 युद्धपोतों के लिए डॉकिंग स्पेस, विमानों के लिए हैंगर 11,000 एकड़ में फैली 19,000 रुपये की कोर परियोजना का हिस्सा हैं.

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कोच्चि में वह विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण की समीक्षा करेंगे, जिस पर 2009 में काम शुरू होने के बाद से कई देरी का सामना करना पड़ा है. हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी आक्रमण के मद्देनजर एक अतिरिक्त विमानवाहक पोत महत्वपूर्ण है. जबकि आईएनएस विक्रांत इस पर काम शुरू होने के 11 साल बाद भी पूरा होने का इंतजार कर रहा है. चीन का पहला स्वदेशी वाहक निर्माण शुरू होने के 3 साल के भीतर 2018 में चालू किया गया था.

भारत में वर्तमान में आईएनएस विक्रमादित्य एकमात्र परिचालन विमान वाहक है, जबकि आईएनएस विक्रांत निमार्णाधीन है और भारतीय नौसेना तीसरे के लिए दबाव डाल रही है लेकिन सरकार और सैन्य योजनाकारों के प्रतिरोध का सामना कर रही है. विक्रांत एक एडवांस स्टेज में है और जल्द ही समुद्री टेस्टों की उम्मीद है और 2022 के अंत या 2023 की शुरूआत में पूरी तरह से तैयार हो जाएगा.

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भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विराट के सेवामुक्त होने के बाद इसे एक कार्यात्मक वाहक के साथ छोड़ दिया गया है. दूसरी ओर चीनी नौसेना के पास दो कार्यात्मक विमानवाहक पोत हैं, जिनमें से एक के जल्द ही समुद्र में उतरने की उम्मीद है, लेकिन इसे पूरी तरह से चालू होने में थोड़ा समय लगेगा और चौथा भी पाइपलाइन में है.