डायलिसिस केंद्र के लिए DCDC करेगी 30 करोड़ रुपये का निवेश, 25 नए सेंटर खोलने की तैयारी

डीसीडीसी किडनी केयर के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) असीम गर्ग ने मीडिया से बातचीत में कहा, अभी हमारे देशभर में 112 डायलिसिस केंद्र है. हमारी 2020 के अंत तक 25 और केंद्र खोलने की योजना है.

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Ravindra Singh
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डीसीडीसी किडनी सेंटर( Photo Credit : फाइल)

डायलिसिस केंद्र श्रृंखला डीसीडीसी किडनी केयर ने अपनी विस्तार योजना के तहत चालू वर्ष में 25 और केंद्र जोड़ने की योजना बनाई है. इसके लिए कंपनी करीब 30 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. फिलहाल कंपनी के 112 डायलिसिस केंद्र हैं. इनमें से सिर्फदो एकल कंद्र हैं. शेष केंद्र अस्पतालों में हैं. डीसीडीसी किडनी केयर के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) असीम गर्ग ने मीडिया से बातचीत में कहा, अभी हमारे देशभर में 112 डायलिसिस केंद्र है. हमारी 2020 के अंत तक 25 और केंद्र खोलने की योजना है.

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उन्होंने कहा कि कंपनी मुख्य रूप से विभिन्न राज्य सरकारों के साथ भागीदारी करने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर ध्यान दे रही है. गर्ग ने कहा, विभिन्न राज्यों में पीपीपी मॉडल में हमारी सरकारी अस्पतालों में उपस्थिति है. निजी अस्पतालों में उपस्थिति सीमित है. कंपनी के केंद्र दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और गुजरात में हैं. विस्तार के लिए निवेश के बारे में पूछे जाने पर गर्ग ने कहा कि हम करीब 30 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रहे हैं. 

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डायालिसिस रक्त को शुद्ध करने की एक कृत्रिम विधि है
डॉक्टरों ने बताया कि डायलिसिस रक्त को शुद्ध करने की एक कृत्रिम विधि होती है. इस मशीन से रोगी के शरीर के पूरे खून को डायलाइजर द्वारा पंप किया जाता है ताकि रक्त की अशुद्धियों को इससे दूर किया जा सके. पूरे शरीर के खून को साफ करने के लिए डायालिसिस की मशीन 3-4 घंटे का समय लेती है. रक्त शुद्ध करने के लिए इसे सप्ताह में दो-तीन बार कराना पड़ता है. जिन लोगों को मधुमेह या अन्य किसी कारण से गुर्दे की खराबी हो जाती है ये मशीन उनके उपयोग में आती है.

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डायालिसिस मशीन ऐसे करती है काम
जब आपके गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं तो यह मशीन आपके रक्त को शुद्ध करती है. पूरी क्रियाविधि में रोगी के शरीर के पूरे रक्त को मशीन अपने अंदर लेकर उसकी अशुद्धियों को दूर कर देती है, इस पूरी क्रियाविधि में मशीन से रक्त को शुद्ध किया जाता है. डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है, जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानी गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं. गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है.

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