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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में 24 घंटे में मिल रही कोविड रिपोर्ट, तीसरी लहर की भी तैयारी शुरू

जनप्रतिनिधियों और अफसरों के बेहतर तालमेल के कारण अब कोविड मैनेजमेंट में वाराणसी एक मॉडल के तौर पर उभरता दिख रहा है. वाराणसी ऐसा शहर है, जहां कोरोना की जांच रिपोर्ट सिर्फ 24 घंटे में मिल जाती है. जबकि तमाम शहरों में पांच से दस दिन इंतजार करना पड़ रहा

Updated on: 13 May 2021, 04:00 AM

highlights

  • वाराणसी में तेजी से सुधरे हैं कोरोना के केस
  • अब हो रही है 24 घंटे कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग
  • काशी में कोरोना से निपटने की हो रही नई पहल

नयी दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना को लेकर हालात तेजी से सुधरे हैं. वजह कि यहां शहर से लेकर गांव तक एक साथ कोरोना रोकने के प्रयास हो रहे हैं. वाराणसी शहर मुख्यालय स्थित काशी कोविड रेस्पांस सेंटर 24 घंटे एक्टिव रहता है. जहां से बनारस और आसपास के जिलों की मॉनीटरिंग होती है. काशी में कोरोना को काबू में करने के लिए कई नई पहल हो रही है. इन सब के पीछे हैं पीएमओ में कार्य कर चुके और गुजरात काडर के 1988 बैच के रिटायर्ड आईएएस एके शर्मा. केंद्र सरकार से वीआरएस लेने के बाद उत्तर प्रदेश विधान परिषद(एमएलसी) सदस्य चुने गए एके शर्मा, बनारस, गाजीपुर, जौनपुर, बलिया, आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के 20 जिलों में कोविड कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी देख रहे हैं. उनके साथ वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल, डीएम कौशल राज शर्मा और पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश की टीम कोरोना मैनेजमेंट से जुड़े हर उपायों को धरातल पर उतारने में जुटी है.

जनप्रतिनिधियों और अफसरों के बेहतर तालमेल के कारण अब कोविड मैनेजमेंट में वाराणसी एक मॉडल के तौर पर उभरता दिख रहा है. वाराणसी ऐसा शहर है, जहां कोरोना की जांच रिपोर्ट सिर्फ 24 घंटे में मिल जाती है. जबकि तमाम शहरों में पांच से दस दिन इंतजार करना पड़ रहा है. खास बात है कि पीएम के निर्देश पर यहां तीसरी लहर को लेकर भी तैयारियां शुरू हो गई हैं. बच्चों पर तीसरी लहर में ज्यादा खतरे की आशंका देख बाल रोग विशेषज्ञों की अभी से टीम बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है.

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पूर्वांचल के ही मऊ जिले के निवासी एमएलसी अरविंद शर्मा ने बुधवार को इंटरैक्शन के दौरान आईएएनएस को बताया, "वाराणसी में पहले मैनुअल मशीन के कारण प्रतिदिन सिर्फ पांच हजार टेस्टिंग हो पाती थी और रिपोर्ट आने में चार से पांच दिन लग जाते थे. लेकिन, सीएसआर से हमने नई स्वचालित मशीनों की व्यवस्था की. जिससे टेस्टिंग क्षमता दोगुनी हो गई. अब वाराणसी में हर दिन करीब 12 हजार टेस्टिंग हो रही है, वहीं चार से पांच दिन की जगह 24 घंटे में रिपोर्ट मिल रही है. आज की डेट में किसी की कोविड रिपोर्ट 24 घंटे से ज्यादा समय तक पेंडिंग नहीं रहती."

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एमएलसी अरविंद शर्मा ने बताया कि बनारस और आसपास के जिलों में सीएचसी-पीएचसी लेवल के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की व्यवस्था की गई है. सीएसआर फंड से कंसेंट्रेटर की व्यवस्था हो रही है. अब तक पूर्वांचल के 20 जिलों में 582 कनसेंट्रेटर भेजे गए हैं. होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को टेलीफोन पर डॉक्टर की सलाह उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए आईएमए की मदद से वाराणसी में 'काशी-कवच' नाम से टेली-काउंसिलिंग सुविधा चल रही है. जो असहाय व्यक्ति बाहर दवा नहीं लेने जा सकते, कोविड कंट्रोल रूम में फोन करने पर उन्हें भी दवा पहुंचाई जा रही है.

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कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि समग्र प्लान बनाकर वाराणसी सहित मंडल के जिलों में कोरोना प्रबंधन किया जा रहा है. अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं. वाराणसी के दीन दयाल हास्पिटल, लाल बहादुर शास्त्री हास्पिटल रामनगर, ईएसआईसी हास्पिटल पांडेयपुर में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा चुका है. वहीं रेलवे हास्पिटल, गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज, एसएसपीजी डिविजनल हास्पिटल कबीर चौरा में लगना है.

कमिश्नर ने बताया कि वाराणसी में कुल 52 प्राइवेट अस्पतालों में 1421 कोविड बेड है. इसी तरह सर सुंदरलाल सहित आठ राजकीय चिकित्सालयों में 1033 बेड हैं. इस प्रकार राजकीय और निजी चिकित्सालयों में कुल 2454 कोविड बेडों की व्यवस्था है. 250 बेड का डीआरडीओ हास्पिटल भी शुरू हो गया है. डीएम कौशल राज शर्मा ने बताया कि वैक्सीनेशन पर प्रशासन ध्यान दे रहा है. अब तक 70 हजार वैक्सीनेशन हो चुका है. प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के रेट की भी निगरानी हो रही है.