Corona Virus : जनवरी के तीसरे-चौथे सप्ताह में कोरोना की तीसरी लहर का पीक ?
भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय सांख्यिकी संस्थान बेंगलुरु की टीम ने एक शोध किया है. शोध के मुताबिक जनवरी के तीसरे और चौथे सप्ताह के बीच कोरोना अपनी पीक पर होगा.
highlights
- भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय सांख्यिकी संस्थान बेंगलुरु की टीम ने किया शोध
- शोध के मुताबिक जनवरी के तीसरे और चौथे सप्ताह के बीच कोरोना अपनी पीक पर होगा
- 30 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो आसानी से संक्रमण से बीमार हो सकती है
नई दिल्ली:
भारत में एक बार फिर कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. देश भर के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1,17,100 नए केस सामने आए हैं. ओमिक्रॉन (Omicron) के देश में कुल 3007 केस हो गए हैं. लेकिन उनमें से 1199 लोग ठीक भी हो चुके हैं. वहीं 7 महीने बाद ऐसा मौका आया है जब केस 1 लाख के ऊपर पहुंचे हैं. ऐसे में देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका व्यक्त की जा रही है. लेकिन सवाल यह है कि तीसरी लहर कब अपने पीक पर होगी और कब समाप्त होगी.
भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय सांख्यिकी संस्थान बेंगलुरु की टीम ने एक शोध किया है. शोध के मुताबिक जनवरी के तीसरे और चौथे सप्ताह के बीच कोरोना अपनी पीक पर होगा. और मार्च की शुरुआत से मार्च के अंत तक कोरोना धीरे-धीरे कम हो जाएगा. शोध के मुताबिक पीक के दौरान महाराष्ट्र और दिल्ली में सबसे अधिककोरोना के केस आने की संभावना है.
इस स्टडी में गणितीय मॉडलिंग के आधार पर गणना की गई है कि कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले जनवरी के तीसरे और चौथे हफ्ते में सबसे अधिक होंगे और फिर मार्च की शुरूआत होते-होते कम होने लगेंगे. यह गणितीय मॉडल पिछले संक्रमण (Past infection), वैक्सीनेशन (Vaccination) और कमजोर इम्यूनिटी (Weak immunity) को भी ध्यान में रखता है. पिछले संक्रमण और वैक्सीनेशन के बावजूद आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी नए वैरिएंट की जद में आसानी से आ सकता है.
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शोधकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के मामलों के ग्राफ के आधार पर भारत में कोरोना की तीसरी लहर के पीक का अनुमान लगाया है. 3 लाख से 10 लाख तक केस स्टडी के मुताबिक, वायरस का आसानी से शिकार बनने वाले लोगों की संख्या (यानी बीमार, वृद्ध और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग जिनके वायरस में चपेट आने की आशंका ज्यादा रहती है) के अनुमान के आधार पर पर रोजाना 3 लाख, 6 लाख या फिर 10 लाख तक मामले सामने आ सकते हैं.
यदि केवल 30 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो आसानी से संक्रमण से बीमार हो सकती है तो यह भारत की दूसरी लहर के दौरान देखे गए मामलों की तुलना में कम हैं. 6 जनवरी, 2022 तक देश में SARS-CoV-2 के ओमिक्रॉन वैरिएंट से लगभग 3000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. यह संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि DNA या RNA में मिली जेनेटिक जानकारी को पढ़ना और उसकी व्याख्या करना (जीनोम अनुक्रमण, Genome sequencing) केवल कुछ नमूनों पर किया जाता है. जिसमें महाराष्ट्र के 653 और दिल्ली के 464 मामले लिए गए थे.
महाराष्ट्र में अभी तक सबसे अधिक ओमिक्रॉन के केस देखे जा रहे हैं और वहां भी जनवरी के तीसरे सप्ताह तक पीक चरम पर पहुंचने की संभावना है. वहीं दिल्ली, जो वर्तमान में ओमिक्रॉन के मामलों में देश में दूसरे नंबर पर है, वहां महाराष्ट्र से पहले पीक पर पहुंच सकता है यानी कि दिल्ली में जनवरी के दूसरे सप्ताह तक पीक दिख सकती है और फरवरी के पहले हफ्ते पर हालात सामान्य हो सकते हैं.
लेकिन यदि केवल 30 प्रतिशत लोगों में ही वायरस फैलने की अधिक आशंका हो, तब. लक्षद्वीप (Lakshadweep), पुडुचेरी (Puducherry) और पंजाब (Punjab) जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीक फरवरी में चरम पर होगा. नेशनल कोविड-19 सुपरमॉडल कमेटी (National Covid-19 Supermodel Committee) का हिस्सा रहे शोधकर्ताओं की तुलना में गणितीय मॉडलिंग की स्टडी करने वाली टीम द्वारा वर्तमान स्थिति के आधार पर जो बताया गया है, उसके मुताबिक पीक जल्दी आएगा. सुपरमॉडल कमिटी टीम ने बताया था कि फरवरी की शुरुआत में किसी भी समय पीक आ सकता है.
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