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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट गलत प्राथमिकताओं का मामला है, कोर्ट का नहीं : कांग्रेस

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह विडंबना है कि कोरोना महामारी और आर्थिक मंदी के समय में दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के लिए 14,000 करोड़ रुपये और पीएम के लिए हवाई जहाज खरीदने के लिए 8,000 करोड़ रुपये सरकार के पास हैं.

Updated on: 05 Jan 2021, 05:21 PM

नई दिल्ली:

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद, कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि यह मामला कानूनी पहलुओं के बारे में नहीं है, बल्कि यह महामारी और आर्थिक मंदी के दौरान गलत प्राथमिकताओं का मामला है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 13,450 करोड़ रुपये का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कोई कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि एक तानाशाह की गलत प्राथमिकताओं का मामला है, ऐसा व्यक्ति जो इतिहास के पन्नों पर अपना नाम लिखवाने को आतुर है.

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कांग्रेस नेता ने कहा कि यह विडंबना है कि कोरोना महामारी और आर्थिक मंदी के समय में दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के लिए 14,000 करोड़ रुपये और पीएम के लिए हवाई जहाज खरीदने के लिए 8,000 करोड़ रुपये सरकार के पास हैं. उन्होंने कहा, लेकिन वही भाजपा सरकार 113 लाख सशस्त्र बलों और केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के भत्ते के 37,530 करोड़ रुपये की कटौती करती है.

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कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने 15 लाख सैनिकों और 26 लाख सैन्य पेंशनरों की 11,000 करोड़ रुपये की कटौती की है और केंद्र की भाजपा सरकार के पास हमारे सैनिकों को 'गर्म तंबू और उपकरण' मुहैया कराने का समय नहीं है, जो लद्दाख में इस ठंड में चीनी घुसपैठियों से लड़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मंगलवार को 2:1 की बहुमत से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है.

इस परियोजना में 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता के साथ एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है. अगस्त 2022 तक इस परियोजना के निर्माण का अनुमान है, जब देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा.

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7 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्रीय विस्टा प्रोजेक्ट में नए संसद भवन के लिए आधारशिला रखने की घोषणा के साथ निर्माण प्रक्रिया शुरू करने के केंद्र के फैसले पर असंतोष जताया था. 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास रखा था. इस निर्माण में लगभग 971 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है और 2024 तक केंद्रीय सचिवालय के निर्माण की संभावना है.