कांग्रेस नेतृत्व क्या करे... पंजाब सुलझा तो असम उबला, जहां-तहां है रार
अलग-अलग राज्यों से मिल रहे संकेतों को देख कह सकते हैं कि पार्टी को अगले कई वर्षो तक हर राज्य में चुनाव से पहले अंदरुनी कलह से जूझना पड़ सकता है.
highlights
- लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 14 राज्यों में विस चुनाव होंगे
- इनमें सात राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है
- इन सभी राज्यों में कांग्रेस की भीतरी गुटबाजी चरम पर है
नई दिल्ली:
जैसे-तैसे कांग्रेस (Congress) आलाकमान पंजाब की रार सुलझाने में फौरी तौर पर सफल ही हुआ था कि अब राजस्थान (Rajasthan) समेत अन्य कई राज्यों में असंतोष सतह पर आने लगा है. ताजा मामले में असम (Assam) के कांग्रेस विधायक सुषांत बोर्गोहेन ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष का यही कहना है कि कुछ मसलों पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. इसकी प्रतिक्रिया में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इधर राजस्थान में गहलोत खेमे के नेताओं के बड़े बोल पाय़लट खेमे को लगातार उकसा रहे हैं.
चुनाव वाले राज्यों में गुटबाजी चरम पर
इस लिहाज से देखें तो अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले भले ही कांग्रेस नेतृत्व पंजाब में अंदरुनी कलह थामने में काफी हद तक सफल रहा है, पर पार्टी की मुश्किलें खत्म हो गई हैं यह कहना सही नहीं होगा. अलग-अलग राज्यों से मिल रहे संकेतों को देख कह सकते हैं कि पार्टी को अगले कई वर्षो तक हर राज्य में चुनाव से पहले अंदरुनी कलह से जूझना पड़ सकता है, क्योंकि ज्यादातर राज्यों में गुटबाजी चरम पर है. ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी को घर दुरुस्त करना ही होगा. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले करीब 14 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें सात राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है. उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने है. उत्तराखंड में पार्टी ने सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की है, पर जमीनी स्तर पर यह कवायद कितनी कामयाब होगी, यह चुनाव परिणाम ही तय करेंगे.
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गुजरात औऱ हिमाचल में भी है असंतोष
इसके बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी में नए चेहरे पर सहमति बनाना आसान नहीं होगा. वहीं, गुजरात में भी सबकुछ ठीक नहीं है. वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी. भाजपा बामुश्किल बहुमत का आंकड़े तक पहुंची थी. अब गुजरात कांग्रेस में खेमेबाजी तेज है. पार्टी के कई विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं. पाटीदार आंदोलन से निकले हार्दिक पटेल भी बहुत खुश नहीं है. हालांकि, वह अपनी नाराजगी की खबरों को बेबुनियाद बता रहे हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन पर जो भरोसा जताया है, वह उस पर खरा उतरेंगे.
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कर्नाटक में दिग्गज ही आमने-सामने
कनार्टक में प्रदेश अध्यक्ष डी. शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच भी टकराव बढ रहा है. दोनों एक-दूसरे पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी ऐसे राज्य है, जहां पार्टी को भाजपा से पहले खुद से जुझना प़ड़ सकता है. मध्य प्रदेश कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक नहीं है. वहां अभी भी कई झगड़े हैं. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टी.एस. सिंहदेव के बीच टकराव बरकरार है. अब असम और असंतोष वाले राज्यों में आ जुड़ा है. कह सकते हैं कि फिलहाल तो ये सभी राज्य कांग्रेस नेतृत्व को चैन की नींद सोने देने वाले नहीं हैं.
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