कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की बैठक आज, असंतुष्ट जी-23 खेमा फिर भी नाखुश
सीडब्ल्यूसी की यह बैठक पार्टी के असंतुष्ट जी-23 (G-23) खेमे की मांग पर बुलाई गई है, मगर जी-23 खेमा कार्यसमिति के केवल मुख्य सदस्यों के बजाय आमंत्रित सदस्यों और राज्यों के प्रभारियों को भी इसमें बुलाए जाने से नाखुश है.
highlights
- सीडब्ल्यूसी की बैठक में हाईकमान के फैसलों पर ही एक सुर से मुहर लगनी तय
- कार्यसमिति के 19 मुख्य सदस्य रहेंगे जिनमें असंतुष्ट खेमे के हैं सिर्फ दो नेता
- आमंत्रित सदस्यों और राज्य प्रभारियों को भी इसमें बुलाए जाने से जी-23 खेमा नाखुश
नई दिल्ली:
अगले साल पांच राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनावों में अस्तित्व बचाए रखने की महती राजनीतिक चुनौती और लगातार कमजोर हो रहे संगठन को लेकर पार्टी के अंदर से ही उठ रहे सवालों के बीच कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की शनिवार को महत्वपूर्ण बैठक हो रही है. इस बैठक में संगठन चुनाव कराने पर फैसला होने की पूरी संभावना है. इस कड़ी में पार्टी सदस्यता अभियान शुरू करने पर व्यापक दिशा-निर्देश दिए जाने के भी संकेत हैं. इसके अलावा बैठक में राजनीतिक और कृषि समेत तीन प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे. गौरतलब है कि सीडब्ल्यूसी की यह बैठक पार्टी के असंतुष्ट जी-23 (G-23) खेमे की मांग पर बुलाई गई है, मगर जी-23 खेमा कार्यसमिति के केवल मुख्य सदस्यों के बजाय आमंत्रित सदस्यों और राज्यों के प्रभारियों को भी इसमें बुलाए जाने से नाखुश है. इस लिहाज से देखें तो सीडब्ल्यूसी में असंतोष के तीखे सुर उठने की भी प्रबल संभावना है.
मुख्य सदस्यों के बजाय 56 सदस्य बुलाए गए
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार सीडब्ल्यूसी की बैठक में 56 सदस्यों को निमंत्रित किया गया है. इनमें राज्यों के प्रभारी और विशेष आमंत्रित सदस्य भी शामिल हैं, जबकि जी-23 की अगुआई कर रहे गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जो पत्र लिखा था उसमें कार्यसमिति के केवल मुख्य सदस्यों की ही बैठक में बुलाने की मांग रखी थी. अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा के निधन के बाद कार्यसमिति में अभी 20 सदस्य हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस समय अस्वस्थ होने की वजह से एम्स में भर्ती हैं. ऐसी स्थिति में उनके बैठक में शामिल होने की संभावना नहीं के बराबर ही है.
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जी-23 में से केवल 2 सदस्य रहेंगे
इस लिहाज से देखें तो कार्यसमिति के 19 मुख्य सदस्य ही बैठक में रहेंगे जिनमें असंतुष्ट खेमे के केवल दो ही सदस्य हैं. वे हैं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा. एक समय असंतुष्ट खेमे में रहे मुकुल वासनिक नेतृत्व को बहुत असहज करेंगे, इसकी गुंजाइश नहीं दिखती. वहीं पी. चिदंबरम तटस्थ रहते हुए भी नेतृत्व की सियासी लाइन-लेंथ से बहुत अलग नहीं रहे हैं. इनके अलावा बैठक में बुलाए गए अधिकांश सदस्य कांग्रेस नेतृत्व के राजनीतिक दृष्टिकोण और फैसले के साथ रहेंगे. यानी बैठक में हाईकमान के फैसलों पर ही एक सुर से मुहर लगनी तय है. हालांकि संकेत हैं कि जी-23 खेमा नए अध्यक्ष के चुनाव से लेकर अपने नेताओं के पार्टी छोड़ने के मुद्दे को उठाने से पीछे नहीं हटेगा.
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सदस्यता अभियान शुरू करने के संकेत
माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कराने की पहली कड़ी में कार्यसमिति पार्टी का सदस्यता अभियान शुरू करने को मंजूरी देगी. यह शुरू हुआ तो फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव ब्लॉक, जिला और प्रदेश स्तर के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही होगा, जिसमें अपेक्षाकृत लंबा समय लगेगा. यह अळग बात है कि असंतुष्ट नेता अध्यक्ष का चुनाव जल्द कराए जाने के पक्ष में हैं. इसके अलावा कार्यसमिति के राजनीतिक प्रस्ताव में देश के मौजूदा वातावरण जिसमें संघीय ढांचे पर केंद्र के प्रहार के अलावा असम-मिजोरम बार्डर, नगालैंड में हुए संघर्षपूर्ण विवाद का जिक्र भी होगा. चीन के पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अतिक्रमण के 18 महीने बाद भी स्थिति चिंताजनक और गंभीर बने होने को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला जाएगा. कृषि संकट को लेकर अलग प्रस्ताव होगा जिसमें कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ 11 महीनों से चल रहे आंदोलन पर केंद्र की बेरुखी प्रमुख रहेगा. आर्थिक स्थिति और महंगाई पर तीसरे प्रस्ताव में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के अलावा आम जरूरत की वस्तुओं की बेतहाशा महंगाई रोकने में विफलता को लेकर भी मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाएगा.
पंजाब मसले पर उठे जी-23 में असंतोष के सुर
गौरतलब है कि असंतुष्ट नेता कपिल सिब्बल ने पंजाब के मुख्यमंत्री को पद से हटाने के तरीके और नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे को लेकर पार्टी आलाकमान पर निशाना साधा था. हालांकि पार्टी आलाकमान ने पंजाब के मसले पर सिद्धू से बातचीत करके समस्या का समाधान निकाल कर एक मैसेज देने की कोशिश की है कि पंजाब में सब कुछ ठीक हो चुका है.
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