तीन तलाक बिल: मेनका गांधी की सफाई, कहा- कानून की आवश्यकता पर नहीं उठाए सवाल
महिला एवं बाल विकास (WCD) मंत्रालय ने उस खबर को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें यह दावा किया गया था कि मंत्रालय ने तीन तलाक बिल पर नए कानून की आवश्यकता पर सवाल उठाए थे।
नई दिल्ली:
महिला एवं बाल विकास (WCD) मंत्रालय ने उस खबर को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें यह दावा किया गया था कि मंत्रालय ने तीन तलाक बिल पर नए कानून की आवश्यकता पर सवाल उठाए थे। WCD मंत्रालय ने रविवार को कहा कि 17 दिसंबर 2017 को प्रकाशित हुई अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट 'जानबूझकर की गई शरारत और तथ्यात्मक रूप से भ्रामक' है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, मेनका गांधी की नेतृत्व वाली महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर नए कानून की जरूरत पर सवाल उठाए थे। मंत्रालय का कहना था कि ऐसे कानून पहले से मौजूद हैं जिससे तीन तलाक पर रोक लगाई जा सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने अपनी दलील में कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 (ए) में ऐसे प्रावधान हैं। जिससे तीन तलाक पर रोक लगाई जा सकती है। आपको बता दें कि 498 (ए) में दहेज प्रताड़ना और ससुराल में महिलाओं पर अत्याचार के दूसरे मामलों से निपटने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं।
अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, तीन तलाक पर ड्राफ्ट बिल को सभी संबंधित मंत्रालय को भेजा गया। इसपर सभी मंत्रालयों ने सहमति जताई। लेकिन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ड्राफ्ट के कुछ मुद्दों पर असहमति जताई।
इस खबर को खारिज करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा, 'मंत्रालय हमेशा से तीन तलाक के खिलाफ रहा है। मंत्रालय ने तीन तत्काल तलाक को संज्ञेय अपराध बनाने के कैबिनेट के प्रस्ताव का पूरा समर्थन किया है।'
आपको बता दें कि 15 दिसंबर को तीन तलाक रोकने के लिए मुस्लिम महिला(विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई थी। उन्होंने गुजरात चुनाव अभियान के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था। इससे पहले पीएम मोदी उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में भी तीन तलाक पर रोक की बात कर चुके हैं।
विधेयक के अनुसार, इसमें प्रस्तावित है कि तीन तलाक को संज्ञेय व गैर-जमानती अपराध बनाया जाए जिसके तहत तीन साल कारावास का प्रावधान है। यह मसौदा कानून सुप्रीम कोर्ट की ओर से 22 अगस्त को दिए गए निर्णय के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें तीन तलाक को अवैध बताया गया था।
और पढ़ें: पाक खुफिया एजेंसी ISI के 'हनीट्रैप' की साजिश को भारत ने किया नाकाम
विधेयक में तत्काल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को संज्ञेय व गैर-जमानती अपराध बनाने के अलावा, पीड़ित महिलाओं को भरण पोषण की मांग करने का अधिकार दिया गया है। संसद के शीत सत्र में इस विधेयक को पेश किए जाने की उम्मीद है।
अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंत्रिमंडल द्वारा तीन तलाक पर विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है, जबकि महिला कार्यकर्ताओं ने इस विधेयक को कानून बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों से समर्थन मांगा है।
और पढ़ें: जिग्नेश ने एक्टिज पोल को बताया अर्थहीन, कहा- चुनाव हार रही है बीजेपी
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Sonu Sood WhatsApp Blocked: 2 दिन से बंद है सोनू सूद का व्हाट्सएप अकाउंट, नहीं कर पा रहे हैं जरूरतमंदों की मदद
-
Sahil Khan Arrested: महादेव बेटिंग ऐप केस में मुंबई पुलिस ने उठाया बड़ा कदम , एक्टर साहिल खान हुए गिरफ्तार
-
Samantha Ruth Birthday: साउथ इंडस्ट्री की दिवा 37 साल की हुईं आज, ऐसा रहा है सामंथा का फिल्मी करियर
धर्म-कर्म
-
Pramanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Shri Premanand ji Maharaj: मृत्यु से ठीक पहले इंसान के साथ क्या होता है? जानें प्रेमानंद जी महाराज से
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
May 2024 Vrat Tyohar List: मई में कब है अक्षय तृतीया और एकादशी? यहां देखें सभी व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट