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चीन की नीयत में खोट, सहमति के बाद भी पीछे नहीं हट रहे पीएलए सैनिक

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान में मौजूद सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना पहले कुछ पीछे हटी थी, लेकिन फिर वापस आ गई.

Updated on: 19 Jul 2020, 07:13 AM

highlights

  • चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से नहीं हटे हैं.
  • प्वाइंट 14 में भारतीय और चीनी सेना के बीच तीन किलोमीटर की दूरी.
  • तनाव का क्षेत्र हॉट स्प्रिंग, यानी पेट्रोलिंग प्वाइंट-17 बना हुआ है.

नई दिल्ली:

भारत और चीन के बीच बातचीत के दौरान बनी सहमति के अनुरूप चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से नहीं हटे हैं. सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जवानों के गैर प्रतिबद्ध रवैये को देखते हुए, भारत इस नतीजे पर पहुंचा है कि पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इस पर लगातार नजर रखने की जरूरत है.

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पीछे हटने के बाद वापस आए चीनी सैनिक
भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान में मौजूद सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना पहले कुछ पीछे हटी थी, लेकिन फिर वापस आ गई, इसलिए चीनी सैन्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक में बनी आम सहमति को लेकर लगातार सत्यापन किए जाने की जरूरत है. यह पाया गया था कि भारतीय और चीनी सेना पेंगांग लेक में दो किलोमीटर तक पीछे हट गई थी और फिंगर-4 खाली हो गया था. हालांकि चीनी अभी भी रिज लाइन के पास डटे हुए हैं. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि चीनी फिंगर 4 के पास मौजूद थे, जो कि पारंपरिक रूप से भारत के अधीन क्षेत्र में आता है.

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कहीं 8 तो कहीं 500 मीटर पर डटे दोनों देशों के सैनिक
चीनी सेना फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक भारतीय सीमा में आठ किमी अंदर तक आ गई थी. भारत का मानना है कि एलएसी फिंगर 8 से शुरू होती है. पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 कहे जाने वाले गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच तीन किलोमीटर की दूरी है, जबकि पेट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास, जवानों के बीच दूरी लगभग आठ किलोमीटर है. लेकिन तनाव का क्षेत्र हॉट स्प्रिंग, यानी पेट्रोलिंग प्वाइंट-17 बना हुआ है, जहां 40-50 जवान केवल 600-800 मीटर की दूरी पर तैनात है. दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद चीनी सेना पीछे हटी थी, लेकिन वापस आ गई.

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बातचीत अंतिम नतीजों की गारंटी नहीं
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख के अपने दौरे के दौराना कहा था कि भारत शांति चाहता है, लेकिन चीन के साथ वार्ता के अंतिम नतीजे निकलने की कोई गारंटी नहीं है. सिंह ने तनावग्रस्त सीमावर्ती इलाकों में भी जमीनी स्थिति का जायजा लिया. भारतीय सेना ने 16 जुलाई को कहा था कि एलएसी पर चीन के साथ सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इसके लगातार सत्यापन करते रहने की जरूरत है. सशस्त्र बल ने कहा था कि भारत तनाव कम करने की प्रक्रिया को राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित बैठकों के जरिए आगे बढ़ा रहा है.