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डॉ. एस जयशंकर, विदेश मंत्री( Photo Credit : TWITTER HANDLE)
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डॉ. एस जयशंकर, विदेश मंत्री( Photo Credit : TWITTER HANDLE)
भारतीय छात्रों के मुद्दे पर चीन ने कुछ नरमी दिखाई है. कोरोना महामारी के चलते चीन में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र स्वदेश लौट आये थे. छात्रों का मानना था कि कोरोना के कम होने के बाद वे फिर चीन जाकर अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेंगे. लेकिन छात्रों को फिर से वापस आकर अपनी पढ़ाई पूरी करने की इजाजत देने में चीन ने दो साल से ज्यादा वक्त लगा दिया. भारत सरकार के कई बार किए गए निवेदन और विदेश मंत्रालय की पहल के बाद चीन ने कुछ भारतीय छात्रों को पढ़ाई के लिए वापस लौटने की इजाजत दी है और इसके लिए छात्रों से फॉर्म में जरूरी जांनकारी मांगी गई है.
After the meeting of EAM Dr S Jaishankar with FM of China, Wang Yi on March 25th, Chinese side has expressed willingness to consider facilitating return of Indian students to China;request students to provide information by filling up the form by May 8th:Embassy of India in China pic.twitter.com/fDeMo661kM
— ANI (@ANI) April 29, 2022
चीन के भारतीय दूतावास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. भारतीय दूतावास ने कहा, “25 मार्च को चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की बैठक के बाद चीनी पक्ष ने चीन में भारतीय छात्रों की वापसी की सुविधा पर विचार करने की इच्छा व्यक्त की है और छात्रों से 8 मई तक फॉर्म भरकर जानकारी प्रदान करने का अनुरोध किया है.”
भारत चीन पर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे 23,000 से अधिक भारतीय छात्रों की वापसी की अनुमति देने के लिए दबाव बना रहा था. इसी कोशिश में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने अपने चीनी समकक्ष वांग यी की नई दिल्ली की हालिया यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया था. इन छात्रों में ज्यादातर छात्र विभिन्न चीनी कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं.
इससे पहले फरवरी में भी चीन ने कोविड-19 महामारी को लेकर अपने सख्त वीजा प्रतिबंधों के कारण स्वदेश में फंसे 23,000 से अधिक भारतीय छात्रों की ‘शीघ्र वापसी’ के लिए काम करने का भारत से वादा किया था. इसके साथ ही चीन ने भारत को आश्वस्त किया था कि भारतीय छात्रों से किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा क्योंकि उनकी पढ़ाई फिर से शुरू कराना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है.
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दरअसल, चीनी शहर वुहान में 2019 में फैली महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों के कारण चीनी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारत और अन्य देशों के हजारों अंतर्राष्ट्रीय छात्र पिछले साल मार्च से चीन नहीं लौट पाए हैं. चीन में पढ़ रहे हजारों विदेशी छात्रों की वापसी एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है क्योंकि बीजिंग ने अपनी कठोर शून्य-कोविड नीति के अनुसरण में उन्हें अपनी पढ़ाई में फिर से शामिल होने के लिए वीजा प्रदान करने से मना कर दिया.
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