logo-image

पैंगोंग झील पर पुल बना रहा चीन, कहा- शांति के मकसद से हो रहा काम

पुल का निर्माण उस क्षेत्र में किया जा रहा है जो पिछले करीब 60 साल से चीन के अवैध नियंत्रण में है.

Updated on: 08 Jan 2022, 06:48 AM

highlights

  • भारत का आरोप चीन के अवैध कब्जे में है 60 साल से इलाका
  • चीन ने कहा- संप्रभुत्ता की रक्षा और शांति के लिए हो रहा काम
  • 12 जनवरी को हो सकती है 14वें दौर की कमांडर स्तर की वार्ता

नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर पुल बनाने के संबंध में चीन ने सफाई दी है. चीन का कहना है कि वह अपनी क्षेत्रीय सम्प्रभुता की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है. भारत ने कहा कि पैंगोंग झील पर चीन जहां पुल बना रहा है वह क्षेत्र पिछले करीब 60 साल से चीन के अवैध नियंत्रण में है और उसने (भारत) कभी ऐसी गतिविधि को स्वीकार नहीं किया. नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, ‘पैंगोंग झील पर चीन के पुल बनाने से जुड़ी खबरों के संबंध में सरकार गतिविधियों पर करीब से नजर रख रही है.’

60 साल से चीन के अवैध नियंत्रण में इलाका
उन्होंने कहा, ‘पुल का निर्माण उस क्षेत्र में किया जा रहा है जो पिछले करीब 60 साल से चीन के अवैध नियंत्रण में है. जैसा कि आप सभी को पता है, भारत ने कभी भी इस अवैध नियंत्रण को स्वीकार नहीं किया है.’ बागची ने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा हितों के पूर्ण संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठा रहा है. बागची के बयान के बारे में पूछे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने पैंगोंग सो पुल का प्रत्यक्ष उल्लेख किए बगैर पत्रकारों से कहा कि ‘आपने जो बात कही, मुझे उसकी जानकारी नहीं है.’

यह भी पढ़ेंः  पंजाब के मुख्य सचिव ने पत्र लिख केंद्र को बताया,150 अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज

सोमवार को सामने आई सैटेलाइट तस्वीरें
वांग ने कहा, ‘मैं यह बताना चाहता हूं कि चीन की ओर से अपनी सीमा में किया जा रहा बुनियादी ढांचे का निर्माण पूरी तरह से उसकी सम्प्रभुता में आता है और उसका लक्ष्य चीन की क्षेत्रीय सम्प्रभुता की रक्षा करना और चीन-भारत सीमा पर शांति तथा स्थिरता बनाए रखना है.’ खुर्नाक इलाके में पुल के निर्माण की उपग्रह से प्राप्त तस्वीरें सोमवार को सामने आई हैं. यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब भारत और चीन के बीच कोर कमांडर लेवल की 14वें दौर की वार्ता 12 जनवरी को होने की संभावना है. इसमें पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष क्षेत्रों से पीछे हटने की प्रक्रिया की दिशा में प्रगति के विषय पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. 

अब तक 13 दौर की हो चुकी हैं सैन्य वार्ता
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सूत्रों ने कहा कि यह बातचीत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा क्षेत्र में चुशूल में आयोजित होने की संभावना है. समझा जाता है कि इस वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष की ओर से देपसांग, बुल्ज और देमचाक से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालने सहित संघर्ष के शेष क्षेत्रों में जल्द से जल्द पीछे हटने पर जोर देने की संभावना है. दोनों देशों के बीच 13वें दौर की सैन्य बातचीत पिछले वर्ष 10 अक्‍टूबर को हुई थी जो गतिरोध के साथ समाप्त हुई थी. इस बैठक में दोनों पक्ष कोई प्रगति हासिल करने में विफल रहे थे. भारतीय सेना ने वार्ता के बाद कहा था कि उसकी ओर से दिए गए रचनात्मक सुझावों पर चीनी पक्ष सहमत नहीं था और वह (चीनी पक्ष) अपनी ओर से भी कोई आगे बढ़ने वाला प्रस्ताव नहीं दे सका.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में लगा Weekend कर्फ्यू, घर से बाहर निकलने से पहले जान लें ये बातें

पैंगोंग झील में ही हुआ था हिंसक टकराव
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध शुरू हुआ. पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक टकराव के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने काफी संख्या में सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी. पिछले वर्ष लगातार कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे तथा गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की.