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चिदंबरम ने कहा-जिस तरह नो वन किल्ड जेसिका, उसी तरह किसी ने बाबरी मस्जिद नहीं तोड़ा

पी चिदंबरम ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को जो कुछ भी हुआ वो बहुत गलत था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सभी आरोपी बरी हो गये.

Updated on: 10 Nov 2021, 10:02 PM

highlights

  • कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को शर्मनाक बताया
  • इस देश में बाबरी मस्जिद पर आया निष्कर्ष हमें हमेशा डराता रहेगा
  • चिदंबरम ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को जो कुछ भी हुआ वो बहुत गलत था

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर बड़ा बयान दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' के लोकार्पण के मौके पर वह अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. उन्होंने कहा कि समय बीतने के कारण दोनों पक्षों ने इसे (अयोध्या फैसला) स्वीकार कर लिया. क्योंकि दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार कर लिया है, यह एक सही निर्णय बन गया, न कि दूसरी तरफ. यह सही फैसला नहीं है जिसे दोनों पक्षों ने स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि  बाबरी मस्जिद का विध्वंस और उस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमें डराता रहेगा.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और एपीजे अब्दुल कलाम के इस देश में बाबरी मस्जिद पर आया निष्कर्ष हमें हमेशा डराता रहेगा. पी चिदंबरम ने आगे कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हमें यह कहते शर्म नहीं आती कि किसी ने भी बाबरी मस्जिद को नहीं ढाया. 

पी चिदंबरम ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को जो कुछ भी हुआ वो बहुत गलत था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सभी आरोपी बरी हो गये. जिस तरह नो वन किल्ड जेसिका (किसी ने जेसिका को नहीं मारा) उसी तरह किसी ने बाबरी मस्जिद नहीं तोड़ा. 

गांधीजी जो सोचते थें वो रामराज्य था. लेकिन कई लोग रामराज्य को नहीं समझ सके. पंडित जी हमें धर्मनिरपेक्षता के बारे में कहते थे लेकिन कई लोग इसे नहीं समझ सके. धर्मनिरपेक्षता स्वीकृति से  सहनशीलता बन गई है और फिर सहनशीलता से असहज सह अस्तित्व बन गया है.

पी चिदंबरम ने राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाया. उन्होने आगे कहा कि काफी वक्त गुजर जाने की वजह से दोनों पक्षों ने इसे (अयोध्या पर फैसला) कबूल कर लिया, और क्योंकि दोनों पक्षों ने इसे कबूल कर लिया इसीलिए यह फैसला सही हो गया...और कोई दूसरा रास्ता नहीं. यह सही फैसला नहीं है, जिसे दोनों पक्षों ने कबूल कर लिया. 

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इस मौके पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि 1984 में जब वे (बीजेपी) केवल 2 सीटों तक ही सीमित रह गए, तो उन्होंने इसे राष्ट्रीय मुद्दा (राम जन्मभूमि विवाद) बनाने का फैसला किया क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी का गांधीवादी समाजवाद 1984 में विफल हो गया था. इसलिए, उन्हें कट्टर धार्मिक कट्टरवाद के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया गया, जिसके साथ आरएसएस और इसकी विचारधारा को जाना जाता है. आडवाणी जी की यात्रा ही समाज को बांटने वाली थी. वह जहां भी गए नफरत के बीज बोए.