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Chandrayaan 3: चांद पर होने वाली है सर्द रात, लेकिन नहीं खुली विक्रम और प्रज्ञान की 'आंख'

Chandrayaan 3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से सूर्योदय के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया. और अब वहां एक बार फिर से रात होने जा रही है. जिसके चलते प्रज्ञान और विक्रम से संपर्क करने की उम्मीद शायद हमेशा-हमारे खत्म हो जाएगी.

Updated on: 30 Sep 2023, 02:08 PM

highlights

  • चंद्रमा पर फिर होने वाली है रात
  • नहीं हो सका विक्रम और प्रज्ञान से संपर्क
  • पिछले 27 दिनों से नहीं मिला कोई सिग्नल

New Delhi:

Chandrayaan 3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक बार फिर से रात होने वाली है, लेकिन चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान से अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया. 21 सितंबर को ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय हुआ था. उसे बाद इसरो ने लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. इससे पहले चांद पर रात होने की वजह से लैंडर और विक्रम को स्लीप मोड में डाल दिया गया था. इसरो को इस बात की उम्मीद थी कि वह प्रज्ञान और विक्रम एक बार फिर से जाग सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. बावजूद इसके इसरो हताश नहीं है क्योंकि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा की सतह पर सिर्फ 14 दिन काम करने के लिए ही डिजाइन किया गया था.

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23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर की थी चंद्रयान-3 ने लैंडिंग

बता दें कि चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त की शाम 6.03 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इस स्थान को इसरो ने 'शिव शक्ति' नाम दिया है. लैंडिंग यान या 'लैंडर' विक्रम ने पंख की तरह तैरते हुए चंद्रमा की सहत को छुआ. उसके बाद 'रोवर' प्रज्ञान लैंडर विक्रम से बाहर आया और चंद्रमा की सतह पर  चहलकदमी की. वैज्ञानिकों ने शुरुआती 15 दिनों के लिए विक्रम और प्रज्ञान में बैटरी क्षमता डाली थी. इस दौरान प्रज्ञान और विक्रम अपने काम को अंजाम देते रहे. जब चंद्रमा पर रात हुई और उसके बाद सूर्योदय हुआ तो वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि इसकी बैटरी फिर से चार्ज होगी और दोनों काम करने लगेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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बता दें कि चंद्रयान-3 पूरी तरह से सौर ऊर्जा से चलने वाला अंतरिक्ष यान है. लेकिन चंद्रमा पर सर्द रात में चंद्रयान के विक्रम और प्रज्ञान की बैट्री को नुकसान हुआ होगा. जिसके चलते वह चार्ज नहीं हुई. क्योंकि रात में चंद्रमा की सतह पर तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. बता दें कि 2 सितंबर को प्रज्ञान चांद की धरती पर सो गया था. विक्रम को 4 सितंबर को इसरो ने ग्राउंडेड कर दिया था. तब से प्रज्ञान पृथ्वी के बराबर 27 दिनों से चंद्रमा की धरती पर सो रहा है. वहीं विक्रम पिछले 25 दिनों से कोई सिग्नल नहीं दे रहा.

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28 दिन के बराबर होता है चंद्रमा पर एक दिन

बता दें कि चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 28 दिनों के बराबर होता है. जिसमें 14 दिन तर सूर्योदय होता है और 14 दिनों तक रात रहती है. अब पांच दिन बार चंद्रमा पर सूर्य एक बार फिर से अस्त हो जाएगा और सर्द रात शुरू हो जाएगी. इसलिए अब इसरो के पास प्रज्ञान और विक्रम से संपर्क करने के अब सिर्फ 5-6 दिन ही बचे हैं. हालांकि, विक्रम और प्रज्ञान पहले ही अपने काम को पूरा कर चुके हैं, लेकिन इसरो इससे दोबारा संपर्क स्थापित करना चाहता है. अगर ऐसा होता तो ये इसरो के लिए बोनस के समान होता.