Chandrayaan-3: चांद पर छाने लगा अंधेरा, ISRO के पास चंद्रयान-3 को लेकर बची है ये उम्मीद
Chandrayaan 3: इसरो का मिशन चंद्रयान-3 खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है. क्योंकि चंद्रमा पर शाम ढलने लगी है और तीन-चार दिन में वहां घना अंधेरा छा जाएगा. उसके बाद चंद्रयान-3 से अगले 14 दिन तक संपर्क करने की कोशिश भी नहीं की जा सकेगी.
highlights
- खत्म होने के कगार पर पहुंचा चंद्रयान-3 मिशन
- चंद्रमा पर 3-4 दिन में हो जाएगी घनघोर अंधेरी रात
- प्रोपल्शन मॉड्यूल से बची उम्मीद, लगातार कर रहा काम
New Delhi:
Chandrayaan 3: चंद्रमा की सतह पर अंधेरा छाने लगा है, इसी के साथ चंद्रयान-3 मिशन भी अपने अंतिम पढ़ाव की ओर बढ़ गया है. बावजूद इसके भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के पास चंद्रयान-3 को लेकर एक और उम्मीद बची है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद भारत का चंद्रयान-3 सूरज निकलने के बाद भी दोबारा सक्रिय नहीं हुआ. इसरो 22 सितंबर से लगातार लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बीच चंद्रमा पर फिर से रात होने लगी, जिससे चंद्रयान-3 मिशन भी खत्म होने के कगार पर पहुंच गया.
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क्योंकि, पिछले महीने (10-11 सितंबर) में चंद्रमा पर रात होने से पहले ही लैंडर और रोवर स्लीप मोड में चले गए थे. उसके बाद जैसे ही चंद्रमा पर दिन हुआ दोनों को फिर से फिर से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कामयाबी नहीं मिली. अब से तीन-चार दिन के अंदर चंद्रमा पर घोर अंधेरा हो जाएगा. उसके बाद इस मिशन को लगभग खत्म मान लिया जाएगा. लेकिन इसरो को अभी एक और उम्मीद है क्योंकि चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल अभी भी काम कर रहा है.
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28 दिन से चंद्रमा के चक्कर लगा रहा प्रोपल्शन मॉड्यूल
बता दें कि चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल पिछले 58 दिनों से लगातार चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है. उसने अभी तक का सारा डेटा इसरो को भेज दिया है. प्रोपल्शन मॉड्यूल में इसरो ने SHAPE नाम का एक यंत्र लगाया गया है. जिसका काम अंतरिक्ष में छोटे ग्रहों के साथ-साथ एक्सोप्लैनेट्स की खोज करना है. बता दें कि चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम शुरुआत में केवल विक्रम लैंडर को चांद की नजदीकी कक्षा में डालना था.
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उसके बाद 23 अगस्त की शाम 6.03 बजे लैंडर विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की. उसके बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल लगातार चांद के चारों और घूम रहा है. जो लगभग अगले चार से पांच महीने तक काम करता रहेगा. नासा के मुताबिक, इसके जरिए अब तक पांच हजार से ज्यादा एक्सोप्लैनेट्स की खोज की जा चुकी है. ब्रह्मांड में मौजूद अरबों-खरबों आकाशगंगा हैं जो एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. गौरतलब है कि चंद्रमा के जिस स्थान पर लैंडर विक्रम उतरा उस जगह को शिव शक्ति पॉइंट नाम दिया गया है. जहां 30 सितंबर से शाम होना शुरू हो गई है.
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