आज से दो दिन तक रहेगा पूरे देश का चक्का जाम, देशव्यापी हड़ताल को मिला किसानों का समर्थन
'जब मजदूर, कर्मचारी और आम आदमी मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं, तो किसान भी उनका साथ देंगे.'
नई दिल्ली:
देश भर में मंगलवार और बुधवार को भारत बंद का एलान किया गया है. सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कथित तौर पर मजदूरों के खिलाफ दमनकारी नीति लाने के विरोध में इस बंद का आह्वान किया है. इतना ही नहीं देशभर के किसान भी वाम दलों की किसान विंग के तत्वावधान में इस बंद का समर्थन करेंगे. भारत बंद को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) के महासचिव तपन सेन के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया कि, 'सार्वजनिक, असंगठित, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी, बंदरगाहों के मजदूर देश व्यापी हड़ताल पर रहेंगे. वे इस बंद के दौरान केंद्रीय ट्रेड यूनियंस और अन्य संगठनों के नेतृत्व में देश के आर्थिक संकट, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर अपना विरोध जताएंगे.'
वहीं सीपी (एम) से संबंधित ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, "एआईकेएस तथा भूमि अधिकार आंदोलन 8 जनवरी और 9 जनवरी को 'ग्रामीण हड़ताल', रेल रोको और रोड रोको अभियान चलाएंगे. यह कदम मोदी सरकार द्वारा ग्रामीण संकट की समस्या का समाधान करने में विफल रहने, ग्रामीण किसानों की जमीनों को कॉरपोरेट से बचाने में विफल रहने के विरोध में है. किसान हड़ताल को सफल बनाने के लिए हर संभव सहयोग करेंगे."
सीपी (आई) के किसान विंग के अतुल कुमार अंजान ने कहा कि एक बैठक में किसानों की एक्शन कमिटी ने फैसला किया है कि जब मजदूर, कर्मचारी और आम आदमी मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं, तो किसान भी उनका साथ देंगे.
10 ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से यह राष्ट्रव्यापी बंद बुलाया है, जिसमें आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीआईटीयू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एलपीएफ और एईवीए शामिल हैं. रोचक बात है कि इन सभी यूनियंस को लगभग सभी केंद्रीय कर्मचारियों, राज्य कर्मचारियों, बैंक-बीमाकर्मियों, टेलीकॉम कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों के स्वतंत्र महासंघों का समर्थन मिल चुका है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के बेंगलुरू शहर में भी चार यूनियनों ने भी इस राष्ट्रव्यापी बंद को समर्थन देने का फैसला किया है. इनमें बेंगलुरू मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (बीएमटीसी) और कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (केएसआरटीसी) भी शामिल हैं, जबकि ऑटो रिक्शा और कैब चालक भी इस हड़ताल का हिस्सा बन सकते हैं.
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