15000 से कम सैलरी वालों के लिए बड़ा ऐलान, जून-जुलाई-अगस्त का भी EPF देगी सरकार
कोरोना काल में केंद्र सरकार ने मजदूर वर्ग को बड़ी राहत दी है. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि जून, जुलाई और अगस्त का भी ईपीएफ सरकार की ओर से दिया जाएगा.
नई दिल्ली:
कोरोना काल में केंद्र सरकार ने मजदूर वर्ग को बड़ी राहत दी है. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि जून, जुलाई और अगस्त का भी ईपीएफ सरकार की ओर से दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 3 महीने के लिए कर्मचारियों और एम्प्लायर का ईपीएफ योगदान सरकार दे रही थी. पहले मार्च, अप्रैल और मई के बाद अब इसे 3 महीने और बढ़ाया गया है यानी जून, जुलाई और अगस्त का ईपीएफ योगदान भी (कर्मचारियों और एम्प्लॉयर का हिस्सा) सरकार देगी. उन्होंने बताया कि इस पर 2500 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज में एक सुविधा दी गई थी कि 12-12 फीसदी ईपीएफ कर्मचारी और नौकरी देने वाले को भारत सरकार देगी. ये पहले तीन महीनों के लिए किया गया था, जिसे बढ़ाकर अगले तीन महीने जून, जुलाई और अगस्त तक कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि 3,67,000 ऐसी संस्थाओं के 72,22,000 ऐसे कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा. इनको कुल मिलाकर 2500 करोड़ का लाभ मिलेगा.
इसके अलावा केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि कंपनियों का ईपीएफ में अब सिर्फ 10 प्रतिशत देना पड़ेगा. 72 लाख 42 लाख कर्मचारियों को मिलेगा इसका फायदा होगा. साथ ही 15 हजार से कम सैलरी वाले कर्मचारियों की सैलरी से कटने वाले 12 प्रतिशत ईपीएफ की जगह भी अब 10 प्रतिशत ही ईपीएफ काटा जाएगा. इन दोनों कर्मचारियों की सैलेरी का 24 प्रतिशत (कर्मचारियों और एम्प्लॉयर का हिस्सा) पीएफ सरकार जमा करेगी.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमारे पास जो गरीबों, जरूरतमंदों, प्रवासियों, दिव्यांगों और देश के वृद्धों के प्रति जो जिम्मेदारी है उसे हम नहीं भूलेंगे. उन्होंने घोषणा की कि मध्यम, सूक्ष्म, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग और घरेलू उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. इन MSME's को 3 लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री ऑटोमैटिक लोन दिया जाएगा. इसमें आपको किसी भी तरह की गारंटी और कोई कोलेट्रल देने की जरूरत नहीं है. इसकी समय सीमा 4 वर्ष होगी और पहले 1 साल मूलधन नहीं चुकाना होगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया किया कि 25 लाख से लेकर 1करोड़ रुपए की इन्वेस्टमेंट कर जो 5 करोड़ तक का व्यापार करेगा माइक्रो यूनिट कहलाएगा. स्मॉल के लिए 10 करोड़ तक का निवेश और 50 करोड़ तक का कारोबार और मीडियम में 20 करोड़ तक का निवेश और 100 करोड़ तक के टर्नओवर का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि 200 करोड़ से कम वाले में ग्लोबल टेंडर नहीं होंगे. इससे लघु ,सूक्ष्म, मध्यम उद्योगों को लाभ मिलेगा। आत्मनिर्भर भारत की तरफ ये एक और कदम है.
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