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पीएमके का आरोप राजमार्गों के जरिये हिंदी थोप रही केंद्र सरकार

पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस.रामदॉस ने कहा है कि तमिलनाडु में केंद्र सरकार हिंदी को थोपने का काम बंद करे।

Updated on: 30 Mar 2017, 09:23 PM

नई दिल्ली:

दक्षिण भारत में हिंदी को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा होने की संभावना दिख रही है। पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस.रामदॉस ने कहा है कि तमिलनाडु में केंद्र सरकार हिंदी को थोपने का काम बंद करे।

पीएमके संस्थापक एस रामदॉस ने कहा है कि तमिलनाडु में नेशनल हाई वे के किनारे लगे मील के पत्थरों से अंग्रेजी में लिखे जगहों के नामों को मिटाकर हिंदी में लिखा जा रहा है जो ठीक नहीं है।

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उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि राजमार्गों पर लगाए गए मील के पत्थरों पर जगहों के नाम हिंदी में न लिखे जाएं और अंग्रेजी में ही रहने दें।

रामदॉस ने कहा कि दिनदिवानम तथा कृषनगरी से गुजरने वाले राजमार्ग के किनारे लगे मील के पत्थरों पर कस्बों के अंग्रेजी में लिखे गए नाम को मिटाकर हिंदी में किया जा रहा है।

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उन्होंने कहा, "इन राजमार्गो से गुजरने वाले विदेशी कारोबारियों तथा पर्यटकों में यह उलझन पैदा कर रहा है।"

उन्होंने कहा कि कस्बों के नाम केवल हिंदी और तमिल में हैं। उनके मुताबिक, ऐसा लगता है कि यह केंद्र सरकार के नीतिगत फैसले का परिणाम है, जिसे स्थानीय स्तर पर नहीं लिया गया।

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आईएनएस इनपुट के साथ