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पदोन्नति में कोटा के हकदारों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, सरकार ने शुरू की आरक्षण की प्रक्रिया

लंबे इंतजार के बाद पदोन्नति में कोटा के हकदारों के लिए केंद्र सरकार की ओर से अच्छी खबर आ रही है. केंद्र ने पदोन्नति में आरक्षण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है.

Updated on: 15 Apr 2022, 09:24 AM

highlights

  • पदोन्नति में आरक्षण की प्रक्रिया को केंद्र सरकार ने किया तेज 
  • सभी विभागों को खाली पड़े पदों की संख्या एकत्रित करने के आदेश
  • सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के आधार पर मिलेगी आरक्षण में पदोन्नति 

नई दिल्ली:

Reservation in Promotion for SC/ST: लंबे इंतजार के बाद पदोन्नति में कोटा (Reservation in Promotion) के हकदारों के लिए केंद्र सरकार की ओर से अच्छी खबर आ रही है. केंद्र ने पदोन्नति में आरक्षण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. पदोन्नति में आरक्षण पर अमल करने के लिए केंद्र ने सभी विभागों से कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की नीति लागू करने से पहले अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के प्रतिनिधित्व की काली पड़ी सीटों का डेटा जमा करने को कहा है. इसके साथ ही सभी विभागों से पदोन्नति के लिए विचार किए जा रहे अधिकारियों की उपयुक्तता का भी सावधानीपूर्वक आकलन करने को कहा गया है.

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने  अपने एक आदेश में जनवरी में जारी सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के लिए कुछ शर्तों को रेखांकित किया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पदोन्नति में कोटा देने से पहले इन शर्तों को लागू करने को कहा गया था. इन शर्तों में "अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की खाली पड़े पदों के के संबंध में मात्रात्मक डेटा का संग्रह" शामिल है.

पदोन्नति में कोटा के लिए ये मानक है तय
"(i) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की खाली पड़े पदों के संबंध में मात्रात्मक डेटा का संग्रह; (ii) इस डेटा को प्रत्येक संवर्ग के लिए अलग से लागू करना; और (iii) यदि कोई रोस्टर मौजूद है, तो रोस्टर के संचालन की इकाई संवर्ग होगी या जिसे रोस्टर में रिक्तियों को भरने के संबंध में मात्रात्मक डेटा एकत्र और लागू करना होगा।"

लंबे वक्त से चली आ रही है मांग
दरअसल, सभी मंत्रालयों और विभागों को पदोन्नति में आरक्षण की नीति को लागू करने और उसके आधार पर किसी भी पदोन्नति को करने से पहले उपरोक्त शर्तों का पालन किया जाना जरूरी है. लिहाजा, मंगलवार को जारी इस आदेश में कहा गया है कि प्रशासन की क्षमता बनाए रखने के लिए डीपीसी (विभागीय विभाग) पदोन्नति समिति) पदोन्नति के लिए विचार किए जा रहे अधिकारियों की उपयुक्तता का सावधानीपूर्वक आकलन करने को कहा गया है. आपको बता दें कि केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) फोरम ने जनवरी में डीओपीटी से अपने सदस्यों के लिए लंबे समय से रुकी हुई पदोन्नति को तुरंत फिर से शुरू करने का आग्रह किया था. सीएसएस फोरम सीएसएस के अधिकारियों का एक संघ है, जिसके सदस्य केंद्रीय सचिवालय के कामकाज की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं. गौरतलब है कि सरकारी अधिकारियों के संघ सीएसएस फोरम के अनुसार केंद्र सरकार के कार्यालयों में अनुभाग अधिकारी, अवर सचिव, उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव स्तर के 6,210 अधिकारी हैं. इस कुल संख्या में से 1,839 पद रिक्त हैं, क्योंकि अधिकारियों को पदोन्नत नहीं किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण का किया था बचाव
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर  प्रमोशन में आरक्षण का बचाव किया है. सरकार ने दलील दी है कि प्रमोशन में आरक्षण  का जमकर बचाव किया था. सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने पर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी. सरकरा ने हलफनामे में कहा है कि 2007 से 2020 के बीच लगभग 4.5 लाख कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण का फायदा मिला है. सरकार ने इस जिक्र करते हुए कहा था कि अगर इसे वापस लिया जाता है तो एससी-एसटी कर्मियों को दिए गए लाभ वापस लेने पड़ेंगे. उन्हें मूल पद पर वापस भेजना पड़ेगा. उनकी सैलरी फिर से तय करनी होगी. इस दौरान रिटायर हुए कर्मचारियों की पेंशन फिर से फिक्स करनी होगी. मौजूदा कर्मचारियों और पेंशनरों को जो अतिरिक्त पैसा अब तक मिला होगा, उसकी रिकवरी करनी होगी. सरकार ने हलफनामे में तर्क दिया है कि अगर प्रमोशन में आरक्षण नीति को वापस लिया जाता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि प्रमोशन में कोटा खत्म किए जाने से कर्मचारियों में अशांति फैल सकती है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण प्रणाली को खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 2017 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जमकर दलीलें दीं. सरकार की ओर से कहा गया कि कहा कि यह नीति संविधान के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट की तरफ दिए गए फैसलों के मुताबिक है. सरकार की ओर से कहा गया कि प्रमोशन में आरक्षण देते वक्त अनुसूचित जाति और जनजाति (SC-ST) आदि के प्रतिनिधित्व का पूरा ख्याल रखा गया है. 

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प्रमोशन में कोटे से काम पर असर नहीं
इसके साथ ही सरकार ने कोर्ट से कहा है कि एससी-एसटी (SC/ST) जाति के कर्मचारियों को तरक्की में आरक्षण से प्रशासनिक कामकाज पर असर नहीं पड़ता है, क्योंकि इस कोटे का लाभ सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को मिलता है, जो परफॉर्मेंस के निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं और इस लायक पाए जाते हैं. तभी उनको उन्नति दी जाती है.