छत्तीसगढ़ में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) पर तो रोक है, मगर अन्य केंद्रीय एजेंसियों की नजर बनी हुई है। यही कारण है कि कुछ समय के अंतराल से छापों की कार्रवाई भी होती रहती है। ये छापे राज्य की सियासत को भी गरमा देते हैं।
राज्य में कांग्रेस की सरकार को तीन साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस अवधि में आयकर विभाग के छापों की दो बड़ी कार्रवाई हुई है, जो सरकार के आसपास से जुड़े लोगों तक भी पहुंचे हैं। राज्य सरकार की एक महिला अधिकारी के यहां भी आयकर के छापे पड़े थे और बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। उसके बाद अभी हाल ही में आयकर विभाग ने एक साथ राज्य के कई स्थानों रायपुर, भिलाई, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर के कुल 30 परिसरों पर दबिश दी और अवैध तरीके से कमाई गई संपत्ति का खुलासा भी हुआ।
राज्य में कांग्रेस की सत्ता आने के बाद सीबीआई को बैन कर दिया गया था, लिहाजा सीबीआई राज्य में दखल नहीं दे सकती, मगर दूसरी केंद्रीय जांच एजेंसियों की न केवल नजर है, बल्कि कार्रवाई भी हो रही हैं। सीबीआई पर वर्ष 2019 में रोक लगाई गई थी क्योंकि इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा था।
भारतीय संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, सीबीआई किसी राज्य में तभी जांच कर सकती है, जब उस राज्य की सरकार अथवा उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय अनुमति दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम 1946 के जरिए बनी संस्था है। इस अधिनियम की धारा छह में कहा गया है कि राज्य सरकार की सहमति के बिना सीबीआई उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती।
राज्य में एक सीडी कांड जो भाजपा की रमन सरकार के कार्यकाल में अक्टूबर 2018 में सामने आया था, जिसमें भाजपा सरकार के तत्कालीन मंत्री पर भी आंच आई थी। इस मामले की जांच सीबीआई के हाथ में थी। इस जांच में सियासी बू आई तो सत्ता बदलाव के बाद भूपेश बघेल ने सीबीआई पर रोक लगा दी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई पूछताछ को लेकर कांग्रेस द्वारा छेड़े गए आंदोलन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आए। इस दौरान वे दिल्ली की सड़कों पर भी उतरे, साथ ही केंद्र की सरकार पर भी खूब हमले बोले।
मुख्यमंत्री बघेल लगातार भाजपा पर हमले बोलते रहते हैं। उन्होंने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का सवाल उठाया और महाराष्ट्र में सत्ता में बदलाव को लेकर कहा है, अब महाराष्ट्र में कोई और छापेमारी नहीं होगी। सभी एजेंसियों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर (आईटी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, दक्षिणी राज्यों और राजस्थान (सभी गैर-भाजपा शासित राज्यों) में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
वहीं दूसरी ओर, भाजपा के प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने अभी हाल ही में आयकर विभाग के छापों को लेकर मुख्यमंत्री बघेल पर हमला बोला है। उनका कहना है कि कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ने चुप्पी साध रखी है। हर मौके पर भड़कने वाले बघेल भी इस मामले में चुप्प हैं, तो जरूर कोई बात तो है। सवाल है कि आखिर चुप्पी क्यों है?
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Source : IANS