ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी हृदयमोहिनी का निधन
राजस्थान के माउंट आबु स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी उर्फ दादी गुलजार का गुरुवार को निधन हो गया. शिवरात्रि के पावन अवसर पर दादी परमात्मा की गोद में समा गईं. 93 साल की आयु में उनका निधन हो गया.
highlights
- ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका थीं दादी हृदयमोहिनी
- मुंबई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था
- 93 साल की उम्र में हुआ दादी हृदयमोहिनी का निधन
माउंट आबू:
राजस्थान के माउंट आबु स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी उर्फ दादी गुलजार का गुरुवार को निधन हो गया. शिवरात्रि के पावन अवसर पर दादी परमात्मा की गोद में समा गईं. 93 साल की आयु में उनका निधन हो गया. दादी हृदयमोहिनी ने करीब 50 साल तक परमात्मा के संदेश को विश्व में फैलाने का काम किया. जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ समय से वह बीमार चल रही थीं. उनका मुंबई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. दादी हृदयमोहिनी के निधन से उनके भक्तों में शोक की लहर है. उनके शव को मुंबई से एयर एंबुलेंस से माउंट आबु ले जाया जा रहा है. आज शाम तक उनका शव माउंट आबु पहुंच जाएगा.
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने जताया शोक
दादी हृदयमोहिनी के निधन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट किया, ''दुःखद समाचार मिला है कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी ह्दयमोहिनी जी (जिन्हें सब गुलजार दादी कहते थे) ने आज शरीर का त्याग कर दिया है. महाशिवरात्रि के दिन ही वह कैलाशवासिनी हो गई हैं. उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम एवं विनम्र श्रद्धांजलि.''
दुःखद समाचार मिला है कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी ह्दयमोहिनी जी (जिन्हें सब गुलज़ार दादी कहते थे) ने आज शरीर का त्याग कर दिया है।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 11, 2021
महाशिवरात्रि के दिन ही वह कैलाशवासिनी हो गयी हैं।
उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम एवं विनम्र श्रद्धांजलि।
ॐ शांति: pic.twitter.com/ZDHuHuOUe7
दादी हृदयमोहिनी 46 हजार बहनों की मार्गदर्शक और अभिभावक भी थीं. कहा जाता है कि महिला के रूप में दादी ने संस्था को ऊंचाईयों के शिखर पर ले जाने में बड़ा योगदान दिया. दादी हृदयमोहिनी का जन्म कराची में हुआ, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने पूरे विश्व को अपना घर समझा और खुदको परमात्मा के संदेश को फैलाने का एक जरिया बनाया. सिर्फ भारत ही नहीं उन्होंने विदेशों में भी परमात्मा के ज्ञान का परिचय दिया है.
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