संसद का मानसून सत्र इस बार हंगामे की भेंट चढ़ गया है. पेगागस समेत अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष ने संसद को नहीं चलने दिया है. मानसून सत्र के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) विपक्ष को सड़क पर घेरेगी. भाजपा मानसून सत्र में विपक्ष के हंगरी को बड़ा मुद्दा बनाएगी. पार्टी ने सभी सांसदों के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारियों को निर्देश दिया है कि सत्र के बाद सभी सांसद अपने-अपने क्षेत्र में जाकर विपक्ष को कटघरे में खड़ा करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस करें और जनता से संवाद करें.
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बीजेपी ने यह भी संदेश दिया है कि विपक्ष के हंगामे की वजह से आम लोगों से जुड़े हुए विधायी कार्य नहीं हो सके. सभी जिला मुख्यालयों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी होगा और मंत्रियों को भी इस काम में लगाया जाएगा. सभी मंत्रियों का भी अलग-अलग प्रदेशों में दौरा होगा. विपक्ष की वजह से देश का कितना पैसा बर्बाद हुआ और कितने विधायी कार्य नहीं हुए इसकी भी जानकारी आम जनता तक पहुंचायी जाएगी.
बीजेपी चुनावी राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड जैसे राज्यों में विशेष तौर पर विपक्ष के खिलाफ अभियान चलाएगी और वहां बताने की कोशिश करेगी कि कैसे सदन को बाधित करके आम लोगों के हित को नुकसान पहुंचाया गया है. संसद का सत्र खत्म होते ही ये अभियान शुरू होगा.
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आपको बता दें कि लोकसभा में सोमवार को संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया गया. इसे केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने सदन में प्रस्तुत किया. यह विधेयक सदस्यों की सहमति मिलने पर सर्वसम्मति से पास हो गया है. विपक्ष की पार्टियों ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है. इस अधिकार का उपयोग करते हुए महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय हरियाणा में जाट समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल करने का मौका मिल सकता है. ये बिल भारत के सभी राज्यों में राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में इस पर मुहर लगाई थी. संविधान में इस संशोधन की मांग कई नेताओं और क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ सत्ताधारी पार्टी के ओबीसी नेताओं ने भी की है. अब यह विधेयक सदन में सर्व सहमति से पास हो चुका है.
OBC विधेयक का होगा ये प्रभाव
इस विधेयक के पास होने से अब राज्य सरकार के पास ये अधिकार होगा कि राज्य अपने अनुसार, जातियों को अधिसूचित कर सकता है. राज्यों को ये अधिकार, संसद में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन पर मुहर लगने के बाद मिली है. इस अधिकार का उपयोग करते हुए महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय हरियाणा में जाट समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल करने का मौका मिल सकता है. मालूम हो कि ये तमाम जातियां लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इनकी मांगों पर रोक लगाता रहा है. इस विधेयक के पास होने के बाद अब इन जातियों की मांगे पूरी हो सकती हैं.
HIGHLIGHTS
- हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का मानसून सत्र
- विपक्ष के हंगरी को बड़ा मुद्दा बनाएगी भाजपा