'भीड़तंत्र के इंसाफ' पर घिरी सरकार, बचाव में उतरे बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह
देश में भीड़ के पीट-पीट कर मार डाले जाने की घटना को लेकर बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने सरकार का बचाव किया है।
highlights
- देश में भीड़ के पीट-पीट कर मार डाले जाने की घटना को लेकर बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने सरकार का बचाव किया है
- शाह ने कहा कि हमारे तीन साल के कार्यकाल के मुकाबले 2011-13 के बीच देश में भीड़ की तरफ से पीट कर मार डाले जाने की घटनाएं ज्यादा हुई
नई दिल्ली:
देश में भीड़ के पीट-पीट कर मार डाले जाने की घटना को लेकर बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने सरकार का बचाव किया है। शाह ने कहा कि यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधऩ) की सरकार के दौरान भीड़ के पीट कर मार डालने की घटनाएं ज्यादा हुई थी लेकिन तब किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाया।
भीड़ के द्वारा पीटकर मार डाले जाने की घटना को लेकर प्रधानमंत्री की आपत्ति के बावजूद पर्याप्त कार्रवाई नहीं किए जाने की चिंता को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए शाह ने कहा, 'हमारे तीन साल के कार्यकाल के मुकाबले 2011-13 के बीच देश में भीड़ की तरफ से पीट कर मार डाले जाने की घटनाएं ज्यादा हुई लेकिन कभी यह सवाल नहीं उठा।'
उन्होंने कहा, 'आपके पास एक भी ऐसी घटना है, जिसमें कोई गिरफ्तारी नहीं हुई हो।'
इस बीच देश में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने और कानून हाथ में लेने की घटनाओं के मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि जब भीड़ का उन्माद बहुत ज्यादा 'अतार्किक और नियंत्रण से बाहर' हो जाए तो हमें रुककर विचार करना चाहिए कि क्या हम अपने समय के मूलभूत मूल्यों को बचाने के लिए पर्याप्त रूप से सजग हैं?
मुखर्जी ने बौद्धिक वर्ग से इस मुद्दे पर मुखर और सजग होने की गुजारिश की।
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हालांकि शाह के बयान के उलट इंडियास्पेंड की रिपोर्ट बताती है देश में गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा में 97 फीसदी मामले मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दर्ज की गई हैं।
रिपोर्ट बताती है कि हिंदुओं में पवित्र माने जाने वाले गोवंशी पशुओं की सुरक्षा के नाम पर पिछले करीब आठ वर्षो (2010 से 2017) के दौरान स्वघोषित गो-रक्षकों द्वारा की गई हिंसा के 51 फीसदी मामलों में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया, जबकि इस तरह के 68 वारदातों में मरने वाले 28 भारतीय नागरिकों में 86 फीसदी पीड़ित मुस्लिम समुदाय के रहे।
इस तरह की हिंसा के 97 फीसदी मामले मई, 2014 में नरेंद्र मोदी के देश की केंद्रीय सत्ता में आने के बाद दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान गो-रक्षा के नाम पर हुई 63 हिंसक वारदातों में से 32 वारदात ऐसे राज्यों में हुए, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सत्ता है।
बीते सात वर्षो के दौरान गो-रक्षा के नाम पर मारे गए 28 लोगों में से 24 व्यक्ति मुस्लिम समुदाय के हैं, जबकि इस दौरान 124 लोग इस तरह की हिंसा में घायल हुए।
इंडियास्पेंड का विश्लेषण कहता है कि 52 फीसदी हिंसा के मामले अफवाहों पर आधारित रहे।
गौरतलब है कि हिंसा के मामलों से संबंधित राष्ट्रीय या राज्य के आंकड़ों में गो-रक्षा के नाम पर हुई हिंसा या भीड़ द्वारा की गई हिंसा को अलग से वर्गीकृत नहीं किया जाता। इंडियास्पेंड का विश्लेषण देश में धर्म और गो-रक्षा के नाम पर लगातार बढ़ रही इस तरह की हिंसा के आंकड़ों का एकमात्र सांख्यिकीय दस्तावेज है। गो-रक्षा के नाम होने वाली हिंसा के मामले में 2017 अब तक का सबसे बुरा वर्ष साबित हुआ है।
गौरतलब है कि देश में पिछले कुछ महीनों के दौरान अफवाहों के आधार पर भीड़ के पीटकर मार डाले जाने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
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