यशवंत सिन्हा ने किया फारुख अब्दुल्ला को सपोर्ट, बोले: 'क्या अटल भी देशद्रोही थे'
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा नेशनल कॉन्फ्रेंस सुप्रीमो फारुख अब्दुल्ला के समर्थम में आगे आए हैं। उन्होंने कहा कि अलगाववादियों से बात करने की कहने वाला एंटीनेशनल नहीं हो जाता है।
नई दिल्ली:
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला के समर्थम में आगे आए हैं। उन्होंने कहा कि अलगाववादियों से बात करने की कहने वाला एंटीनेशनल नहीं हो जाता है। उन्होंने फारुख अब्दुल्ला को राष्ट्रवादी भी करार दिया। बदा दें कि यह बयान उन्होंने फारुख के उस बयान के बाद दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'अलवागाववादियों से बात करने का वक्त आ गया है नहीं तो भारत कश्मीर को खो देगा।'
सिन्हा ने पाकिस्तान के बारे में कहा, 'पिछले 7 दशकों से पाकिस्तान से हम संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं जो कि अबतक संभव नहीं हुआ है। दोनों देशों के बीच अबतक विश्वास कायम नहीं हो सका है। जबतक पाकिस्तान की तरफ से मिल रही नकारात्मकता खत्म नहीं होगी तबतक कुछ नहीं हो सकता।'
These days,if you talk of dialogue with separatists,then you are called anti-national.Does it mean Atalji was anti-national?:Yashwant Sinha pic.twitter.com/yNhF56BsbN
— ANI (@ANI_news) April 12, 2017
सिन्हा ने श्रीनगर उपचुनाव में हुई बेहद कम वोटिंग पर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अलगाववादियों से बातचीत का करना एक अच्छा विकल्प है। लेकिन, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद से इनकार करता रहेगा, बातचीत का कोई भी मतलब नहीं निकलने वाला।
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सिन्हा ने कहा, 'इन दिनों अगर कोई अलगाववादियों से बातचीत की बात भी करता है तो लोग उसे एंटी नेशनल कहने लगते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी इस बातचीत के समर्थन में थे तो क्या वे भी एंटीनेशनल थे?'
बता दें कि पिछले साल जब जुलाई में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में हिंसा भड़की थी तो सिन्हा के लीडरशिप में नागरिक समाज के पांच सदस्यीय शिष्टमंडल ने कट्टरपंती हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी से श्रीनगर में मुलाकात की थी।
इस वक्त उन्होंने कहा था, 'मैं और मेरे साथी यहां पर मानवता के आधार पर आए हैं। इसका लक्ष्य लोगों के दुख दर्द और कष्टों को साझा करना है। अगर ऐसा संभव हो सका तो हम गर्वित महसूस करेंगे।'
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