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राम माधव बोले- भारत में युद्धोन्माद नहीं, आत्म सम्मान के साथ शांति चाहते हैं, क्योंकि...

भाजपा महासचिव राम माधव ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ सीमा पर चल रहा गतिरोध इसलिए है, क्योंकि भारत अपनी सीमाओं के ‘स्वामित्व’ को लेकर अडिग है.

Updated on: 24 Jun 2020, 11:21 PM

नई दिल्ली:

भाजपा महासचिव राम माधव (Ram Madhav) ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ सीमा पर चल रहा गतिरोध इसलिए है, क्योंकि भारत अपनी सीमाओं के ‘स्वामित्व’ को लेकर अडिग है. भारत-चीन (India-China) सीमा विवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्य की ओर से आयोजित एक डिजिटल संवाद कार्यक्रम में राम माधव ने कहा कि भारत में युद्धोन्माद नहीं है, लेकिन शांति बनाए रखने के लिए वह आत्म सम्मान से कोई समझौता नही करेगा.

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भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन हमें कब्रिस्तान वाली शांति नही चाहिए. हम आत्म सम्मान के साथ शांति चाहते हैं. भाजपा महासचिव ने कहा कि भारतीय सीमाओं में गतिविधियों को अंजाम देकर धीरे-धीरे उस पर अपना प्रभुत्व जमाना चीन की लंबे समय से रणनीति रही है, लेकिन पूर्व की सरकारें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अपने क्षेत्र पर भारत के दावे को लेकर मुखरता से आगे नहीं बढ़ी.

मोदी सरकार की मुखर नीति का जिक्र करते हुए माधव ने कहा कि अब हम एलएसी पर अपने स्वामित्व को लेकर अडिग हैं. हमारी नीति रही है कि हम जमीन पर अपने दावे को लेकर पीछे नहीं हटेंगे. हम उन्हें उस क्षेत्र, जिसे हम अपना मानते हैं, में निर्माण कार्य नहीं करने दे रहे हैं. हम पीछे नहीं हटते बल्कि उन्हें पीछे धकेलते हैं. उन्होंने कहा कि लगभग 13-14 देशों के साथ चीन का सीमा विवाद है. वह कपट के सहारे और बिना युद्ध के दूसरे देशों की सीमाओं को हथियाने में यकीन रखता है.

माधव ने कहा कि भारत के मामले में चीन हमेशा एलएसी पर सीमा का निर्धारण न होने का लाभ उठाता रहा है और ‘हम उसे संदेह का लाभ देते रहे हैं’. माधव ने कहा कि वर्ष 1947 से 1962 के बीच चीन ने खुलेआम हमारी सीमा में घुसपैठ की. उसके बाद धीरे-धीरे सुनियोजित तरीके से वह हमारी सीमाओं में घुसता चला आया. उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर अति सक्रियता के साथ आगे बढ़ना होगा, ताकि भविष्य में हिंसा की घटनाओं की पुनरावृति न हो.

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भाजपा महासचिव ने कहा कि मोदी सरकार की नीति देश की एक-एक इंच जमीन के लिए लड़ने की है. उन्होंने बताया कि 1962 में भारत और चीन के बीच की लड़ाई का एक विश्लेषण यह भी था कि चीन उस वक्त सोवियत रूस को सबक सीखाना चाहता था. उन्होंने कहा कि आज कोई यह विश्लेषण कर सकता है कि चीन हमारे साथ ऐसा बर्ताव इसलिए कर रहा है ताकि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिखा सके कि देखो, हम भारत के साथ कुछ भी कर सकते हैं और अमेरिका कुछ नहीं कर सकता. वह भारत जो अमेरिका का करीबी सहयोगी है और करीबी दोस्त भी है.

माधव ने इस मौके पर पाकिस्तान पर भी चुटकी ली और लगे हाथ कांग्रेस पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भगवान ने भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी मुल्क दिया और जब भारत को नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री दिया तो उन्होंने कांग्रेस जैसा विपक्ष भी दिया.