असम सरकार का बड़ा फैसला, डिटेंशन सेंटर को अब कहा जाएगा ट्रांजिट कैंप 

Assam Detention Centre: असम के गोलपारा, कोकराझार, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और सिलचर में जिला जेलों के अंदर छह डिटेंशन सेंटर्स बनाए गए हैं.

Assam Detention Centre: असम के गोलपारा, कोकराझार, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और सिलचर में जिला जेलों के अंदर छह डिटेंशन सेंटर्स बनाए गए हैं.

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Kuldeep Singh
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असम में बने ट्रांजिट कैंप( Photo Credit : न्यूज नेशन)

असम सरकार ने हाल ही में बड़ा फैसला लिया है. अब असम में बनाए गए डिटेंशन सेंटर्स (Detention Centre) को नया नाम दिया जा रहा है. सरकार ने फैसला लिया है कि सरकार द्वारा विदेशों के लिए बनाए जा रहे इन सेंटर्स को अब ट्रांजिट कैंप (Transit Camps) के नाम से जाना जाएगा. राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. इस नोटिफिकेशन में लिखा है कि हिरासत में रखने के उद्देश्‍य से बनाए गए डिटेंशन सेंटर्स को अब ट्रांजिट कैंप के नाम से जाना जाएगा. यह 17 जून 2009 को जारी नोटिफिकेशन का आंशिक संशोधन है.

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असम में घुसपैठ का मसला काफी पुराना है. बांग्लादेश से पिछले कुछ दशक के प्रवासी यहां आते रहे हैं. असम में गोलपारा, कोकराझार, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और सिलचर में जिला जेलों के अंदर दोषी विदेशियों और घोषित विदेशियों को रखने के लिए छह डिटेंशन सेंटर्स बनाए गए हैं. इन्हें राज्य सरकार द्वारा 2009 में अस्थायी रूप से अधिसूचित किया गया था. राज्य सरकार की ओर से एक और डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है. इसमें अवैध रूप से आए विदेशों को हिरासत में रखा जाएगा. जानकारी के मुताबिक यह सेंटर गुवाहाटी से लगभग 150 किलोमीटर दूर गोलपारा जिले के मटिया में निर्माणाधीन है.

इस डिटेंशन सेंटर के बारे में जानकारी देते हुए हिमंत विस्वा सरमा ने बताया कि छह केंद्रों में 181 बंदी हैं. 181 में से 61 घोषित विदेशी हैं और 120 दोषी विदेशी हैं. हिमंत सरमा ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि वह विदेशी नागरिक जो अवैध रूप से भारत में प्रवेश करता है और अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है. जबकि एक घोषित विदेशी वह होता है, जिसे एक बार भारतीय नागरिक माना जाता था, लेकिन फिर विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किया जाता था.

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हालांकि यह भी सत्य है कि 10 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया था इसके बाद से डिटेंशन सेंटर में रखे गए लोगों की संख्या में कमी आई है. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि घोषित विदेशियों को सरकार कुछ शर्तों के साथ तीन साल की हिरासत पूरी होने के बाद रिहा किया जा सकता है. हालांकि इसके बाद एक आदेश और आया. 2020 में आए आदेश के बाद इन बंदियों को रखने की अवधि दो साल घटा दी गई. सरकार ने इन दोनों की फैसलों के बाद 750 लोगों को रिहा कर दिया. 

caa Detention Center Transit Camp
      
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